Manmanth Das

Manmanth Das Lives in Jamalpur, Bihar, India

मैं कला को आकार देता हूँ कला मुझे आकार देती है

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#विचार #hapydiwali  आजकल मतलब भर के रिश्ते वाली दुनिया में लोग त्योहार में भी मतलब ढूँढ लेते हैं नकली मुस्कान और नकली सामान से घर बाजार गुलज़ार हैं मगर भारतीय परंपरा में materialistic हुए बिना किसी दिए के जैसे सबके लिए उजाला मांगने का भाव सदा रहा है 💯 किसी के स्वागत में राम राम❤ के दो मीठे बोल बोलने वाले हम कैसे हर चीज़ में शुभता ढूँढ लेते हैं कि इतने हर्ष उल्लास और वैभव के त्योहार में शुभ के बिना ळाभ की कामना नहीं करते और दीवाली की बधाई भी देना हो तो कहते हैं शुभ दीपावली🎇
  so hey guys 
be the source of light 🙌
and spread the joy, love and happiness to this world 🛕"

©Manmanth Das

#hapydiwali

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#kalam_ke_dhabbe #शायरी #Karwachauth  🌕                                                                                                                                 

सभंल कर देखना
तुम चांद छलनी से, 
कहीं  ये चांद 
छलनी न हो जाए

©Manmanth Das
#शायरी #kalam_ke_dhabbe #mywritings #mywords #ankahi  बहुत दूर तलक चलता रहा हूँ 
अपनी मंजिल से🙌 
अपनों की खुशी के लिए😢

©Manmanth Das
#शायरी  एक तू है
 जिसकी तलाश में है दिल
एक तेरा ख्याल जो
 आंखों से ओझल नहीं होता।

©Manmanth Das

एक तू है जिसकी तलाश में है दिल एक तेरा ख्याल जो आंखों से ओझल नहीं होता। ©Manmanth Das

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अंत नहीं चाह की मगर चुनना मन को चाहिए पाप पुण्य मन में ही है मन को क्या क्या चाहिए। नहीं चाहिए दश आनन न स्वर्ण धाम चाहिए वन में सहर्ष गमन करे आदर्श ऐसे राम चाहिए। दशशीश में भटक रहा मन को विश्राम चाहिए असत्य पर विजय के लिए सत्य को भी राम चाहिए। अधर्म को नमन नहीं न सत्य को नाम चाहिए त्याग में तपे राम को राम में भी राम चाहिए । नहीं चाहिए चन्द्रहास न कोई विमान चाहिए मानवता की शिला को चरण रज श्री राम चाहिए। दंभ का दमन करे जो प्रयास अविराम चाहिए जलधि त्राहि त्राहि करे तो कोदंड को भी राम चाहिए। न चाहिए छल कभी भी न कभी अभिमान चाहिए सेतु बना सके समुद्र में मन को ऐसे राम चाहिए । विकल्प है अनेक किंतु श्रेष्ठ समाधान चाहिए द्वन्द्व में दुःखी मन को चुनना श्री राम चाहिए । ✍मन्मंथ ©Manmanth Das

#कविता #NojotoRamleela #shreeram #kavita  अंत नहीं चाह की मगर 
चुनना मन को चाहिए 
पाप पुण्य मन में ही है 
मन को क्या क्या चाहिए। 

नहीं चाहिए दश आनन
न स्वर्ण धाम चाहिए 
वन में सहर्ष गमन करे
आदर्श ऐसे राम चाहिए।

दशशीश में भटक रहा 
मन को विश्राम चाहिए 
असत्य पर विजय के लिए 
सत्य को भी राम चाहिए।

अधर्म को नमन नहीं 
न सत्य को नाम चाहिए 
त्याग में तपे राम को 
राम में भी राम चाहिए ।

नहीं चाहिए चन्द्रहास 
न कोई विमान चाहिए 
मानवता की शिला को 
चरण रज श्री राम चाहिए।

दंभ का दमन करे जो 
प्रयास अविराम चाहिए 
जलधि त्राहि त्राहि करे तो 
कोदंड को भी राम चाहिए। 

न चाहिए छल कभी भी 
न कभी अभिमान चाहिए 
सेतु बना सके समुद्र में 
मन को ऐसे राम चाहिए ।

विकल्प है अनेक किंतु 
श्रेष्ठ समाधान चाहिए 
द्वन्द्व में दुःखी मन को 
चुनना श्री राम चाहिए ।

                    ✍मन्मंथ

©Manmanth Das
#शायरी #LOVEGUITAR #manmanth #written #Spring #Self
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