वो मुझको क्या समझना चाहता है
जो औरो से उलझना चाहता है
और गर तुम्हें,मुझे समझने का हो शौख-ए-दिल
तो चली आ अगर तू सुलझना चाहता है l.......
-अमरजीत कुशवाहा
मेरी फ़िक्र मे अभी असर और बाकी है l
मैं जानता हूं मोहब्बत है तुम्हें मुझ से
मगर इसमें कसर और बाकी है l
और अभी तो तुम संग मेरे इश्क़ के करवा पे निकली हो
अभी तो सफर और बाकी है l
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