सिर्फ दीवार पर,, नही टंगना है, मुझे..!!
हर "वार" को, झूठे प्यार को..
घर परिवार को, जिगरी यार को,
याद आऊ ऐसा बनना है मुझे...!!
सिर्फ़ दीवार पर,, नहीं टंगना है, मुझे..!!
कुछ धुधले से ख्वाव है,,उन्हें रंगना है मुझे...!!
सिर्फ दीवार पर,, नहीं टंगना है, मुझे...!!
मनचाहे रास्तों पर, वेवक्त टहलना है मुझे..
सिर्फ़ दीवार पर,, नहीं टंगना है, मुझे..!!
वक्त के बाद भी, जो #रद्दी ना हो..
वो अखवार बनना है,, मुझे..!!
# स्वरचित पंक्तियां
@कुमार गगन
" बहुत दिनों बाद "
©Kumar Gagan
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