मैं, वो गांव हु जिसे "आबाद" नहीं करता ,, कोई मैं

"मैं, वो गांव हु जिसे "आबाद" नहीं करता ,, कोई मैं , वो पेड़ हु जिसकी "छांव" में आराम नहीं करता ,, कोई मैने देखे है.. #पतझड़ से लेकर #बसंत तक के ,, "मौसम" हर वक्त हर किसी को ,, याद नहीं करता कोई स्वरचित पंक्तियां ©Kumar Gagan"

 मैं, वो गांव हु 
जिसे "आबाद" नहीं करता ,, कोई
मैं , वो पेड़ हु  
जिसकी "छांव" में आराम नहीं करता ,, कोई 




मैने देखे है..
 #पतझड़ से लेकर #बसंत तक के ,, "मौसम" 
हर वक्त हर किसी को ,, याद नहीं करता कोई


स्वरचित पंक्तियां

©Kumar Gagan

मैं, वो गांव हु जिसे "आबाद" नहीं करता ,, कोई मैं , वो पेड़ हु जिसकी "छांव" में आराम नहीं करता ,, कोई मैने देखे है.. #पतझड़ से लेकर #बसंत तक के ,, "मौसम" हर वक्त हर किसी को ,, याद नहीं करता कोई स्वरचित पंक्तियां ©Kumar Gagan

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