कवि विनय आनंद

कवि विनय आनंद Lives in Lakhimpur, Uttar Pradesh, India

नज़रों को चुराकर भी मुनाफ़ा हुआ उसे मैं दो-दो चार करके भी घाटे में रह गया!

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#शायरी

जिसको खोजे वो नहीं आया , आ गयी सारी टोली

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#शायरी  ये बोझिल शाम, तन्हाई  ये  फ़ुर्कत मार  डालेगी 
किसी प्यासे को  दरिया की जरूरत मार डालेगी 
नहीं दरकार है तुमको किसी साजिश,छलावे की,
हमे  इक दिन  हमारी  ही  मुहब्बत   मार डालेगी...
Shashi

©कवि विनय आनंद

👍

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#शायरी  शहरों  में  तो  बारूदों  का मौसम है,
गांव चलो  ये अमरूदों का मौसम है!

   राहत साहब

©कवि विनय आनंद

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#कविता #KumarVishwas  कल कोई अल्हड़ अयाना बाबरा झोंका पवन का,
जब तुम्हारे इंगितों पर गन्ध भर देगा चमन में
या कोई चंदा धरा का रूप का मारा वेचारा,
कल्पना के तार से नक्षत्र जड देगा गगन पर
तब यही विछुये, महावर, चुडियां, गजरे कहेंगे,
इस अमर सौभाग्य के श्रंगार का अधिकार क्या है।
मॉग की सिन्दूर रेखा तुमसे ये पूछेगी कल,
यूं मुझे सर पर सजाने का तुम्हें अधिकार क्या है।
तुम कहोगी वो समर्पण बचपना था तो कहेगी,
गर वो सब कुछ बचपना था तो कहो फिर प्यार क्या है

#kumarvishwas

©कवि विनय आनंद

प्यार क्या है

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#शायरी

चुराया था हमारा दिल तो साबुत छोड़ देतीं तुम/ कवि विनय आनंद

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#जानकारी  मेहनत कदम कदम पे रोड़ा चल रहा है
जिंदगी तेरा कोड़ा चल रहा है
बनेंगे एक दिन मूरत यकीं है
अभी छेनी हथौड़ा चल रहा है।

 अनुभव अज्ञानी

©कवि विनय आनंद

👍👍

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