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"लिखते रहना ही कवि कि जिंदगी है कुछ ना लिखना मृत्यु समान होता है"
White रेत सी फिसल रही है जिंदगी धीरे-धीरे मरने को हम जीना समझ बैठे हैं नजरें गड़ाए हैं जो अपनी कामयाबी पर वह पानी को आबगीना समझ बैठे हैं ©Aditya Neerav
Aditya Neerav
12 Love
White ना आधा सा ना पूरा सा मैं हूँ अधूरा सा... ©Aditya Neerav
13 Love
White एकाकीपन में कभी खुद को महसूस करना जिसे तुमने खो दिया है... ©Aditya Neerav
White कोई वक्त दे आपको बड़ी बात है यारों फुर्सत के पल अब कहाँ किसी के पास ©Aditya Neerav
10 Love
White गिरती हुई बूंद से कभी पूछा है क्या ? कहां गिरोगी तुम ! धरती पर,पहाड़ों में नदी में,नालों में पेड़ के पत्तों पर फूलों में कोई ऊंच-नीच का भेद नहीं प्रकृति का ऐसा अद्भुत मेल बूँदे गिरती हैं व गिरती ही रहेंगी बारिश के पानी में कहीं कोई भेद नज़र आए तो कहना... ©Aditya Neerav
15 Love
White अचानक से उठा मन में एक सवाल विलुप्त हो रहे जीव जंतुओं की तरह क्या प्रेम भी एक दिन सृष्टि से विलुप्त हो जाएगा...? नहीं प्रेम का विलुप्त होना भयावह हो जाएगा क्योंकि एक प्रेम ही तो है जो सबको अपने धागे में मनके की तरह पिरोए हुए हैं ©Aditya Neerav
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