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इक फितूर ने लिखना सिखा दिया हम लिखते रहे और लोगों ने शायर बना दिया .
शिकायतों का दौर अब ख़त्म हो चुका है.... लगता है सुकून को मंज़िल की तलाश है... ©Sandeep Firozabadi
Sandeep Firozabadi
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अब जला दिया है तो बारिश की दुआ मत कर, तड़प बुझने में जलने से ज्यादा होगी.
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#OpenPoetry सुकून नहीं है, फ़क़त सवाल ये नही है, मर्ज नया है, मगर वजह वही है.
अकेलेपन की मनहूसियत से लबरेज जर्जर दीवारों की कोठरी में स्याह काली रात के अंधेरों में कैद खामोशी बातों से रिश्ते नातों से भूली बिसरी यादों से बनावट के मखमली पर्दों की सिलवटों की गर्त में छुपे हुए राज की हकीकत से रूबरू होती खामोशी. ©Sandeep Firozabadi
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