हर रिसते मे हर बातों मे दरार आये
वो हर एक सपनों मे भी आके मुझे रोउलाय
जिस पर किया था आंख मूद के बिस्वास उसी
ने मेरे आसियाने जलाय
Writer Sk Rai
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अब मेरी सासें थम नहीं रही है
दिल की बाते अब रुक नहीं रही है
ये जो तेरे आखों का नशा है
ओ उतर रही है जिस्म से रूह तक
तक जा सर्वर रही है वो पगली के याद
मे दिन निखर रही है
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