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कुछ दर्द बताना है कुछ उनका दर्द सहना है ये जिँदगी कुछ और नही बस दर्द का ठिकाना है

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वक्त बुरा है यारो ये भी खुद  टल जायेगा हौसला मत हारो ये कोरोना भाग जायेगा जो अपनो से हमने आज दुरी बनाई है वो अपनो के लिए हि जरूरी बन गई हैं । रोज अपनो की मौत की खबर सुनकर अब आसुओ की सुनामी सी उठी है । ऐसे भी जनाजे इन आंखों ने कहा देखे थे अपनो के खंदे के बगैर हि जो रुक्सत होते है । अब घरपर रहो यारो कुछ दिन तसल्ली से बाहर मौत साया राह तख्ता खड़ा है । अपनी नहीं हमे अपनो की परवाह करना है घरों मे बंद होकर हमे मौत को हराना है । कीसीसे कुछ दिन ना मिले तो दुरीया नहीं होंगी दुर रहकर भी हमे लोगो को मदत का हाथ बढ़ाना है। घरों में बंद होकर हमे कोरोना को हराना है ।                         विजय वि गजबे ©swarnvijay

 वक्त बुरा है यारो ये भी खुद  टल जायेगा
हौसला मत हारो ये कोरोना भाग जायेगा
जो अपनो से हमने आज दुरी बनाई है 
वो अपनो के लिए हि जरूरी बन गई हैं ।
रोज अपनो की मौत की खबर सुनकर 
अब आसुओ की सुनामी सी उठी है ।
ऐसे भी जनाजे इन आंखों ने कहा देखे थे 
अपनो के खंदे के बगैर हि जो रुक्सत होते है ।
अब घरपर रहो यारो कुछ दिन तसल्ली से 
बाहर मौत साया राह तख्ता खड़ा है ।
अपनी नहीं हमे अपनो की परवाह करना है 
घरों मे बंद होकर हमे मौत को हराना है ।
कीसीसे कुछ दिन ना मिले तो दुरीया नहीं होंगी 
दुर रहकर भी हमे लोगो को मदत का हाथ बढ़ाना है।
घरों में बंद होकर हमे कोरोना को हराना है ।
                        विजय वि गजबे

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कोरोना को हराना है

10 Love

छा गई है हर तरफ महामारी अंधी बहिरी लाचार हैं सरकारें जीने की सामानों की है कालाबाजारी मौत के बाद भी शमशानो मे अधजली लाशे बाजार बंद मजदुरी को तरसते मजदुर भुके पेट सत्ता के लालचियों से आस लगाए हैं क्यूं ना करे घरों से निकलकर करे बगावत हम जब घरमे भूक से बिलकते बच्चो की है चिखे ।                             विजय वि गजबे ©swarnvijay

 छा गई है हर तरफ महामारी 
अंधी बहिरी लाचार हैं सरकारें 
जीने की सामानों की है कालाबाजारी 
मौत के बाद भी शमशानो मे अधजली लाशे
बाजार बंद मजदुरी को तरसते मजदुर 
भुके पेट सत्ता के लालचियों से आस लगाए हैं
क्यूं ना करे घरों से निकलकर करे बगावत हम 
जब घरमे भूक से बिलकते बच्चो की है चिखे ।
                            विजय वि गजबे

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छा गई है हर तरफ महामारी अंधी बहिरी लाचार हैं सरकारें जीने की सामानों की है कालाबाजारी मौत के बाद भी शमशानो मे अधजली लाशे बाजार बंद मजदुरी को तरसते मजदुर भुके पेट सत्ता के लालचियों से आस लगाए हैं क्यूं ना करे घरों से निकलकर करे बगावत हम जब घरमे भूक से बिलकते बच्चो की है चिखे ।                             विजय वि गजबे ©swarnvijay

10 Love

कोरोना के कहर के साथ यारो उनकी गंदी राजनीति जारी है । बिखरी पड़ी मशानो मे लाशे जनता से ज्यादा उन्हे खुर्ची प्यारी है । लोग तड़फकर मरते है मर जाएं उन्हे चुनाव रैली में लाखो की भीड़ जरूरी है । दवा और ऑक्सीजन के बिना मरते मरीज मौन प्रशासन पक्ष विपक्ष की राजनीति जारी है भुख से मरते गरीबों के बच्चे रोज यहां उन्हे भव्य मंदिर बनाना जरूरी हैं । देख के देश के हालात रोता विजय लोगो की आंख खुलना अभी बाकी हैं ।                         विजय वि गजबे ©swarnvijay

#ZeroDiscrimination  कोरोना के कहर के साथ यारो
उनकी गंदी राजनीति जारी है ।
बिखरी पड़ी मशानो मे लाशे 
जनता से ज्यादा उन्हे खुर्ची प्यारी है ।
लोग तड़फकर मरते है मर जाएं 
उन्हे चुनाव रैली में लाखो की भीड़ जरूरी है ।
दवा और ऑक्सीजन के बिना मरते मरीज
मौन प्रशासन पक्ष विपक्ष की राजनीति जारी है 
भुख से मरते गरीबों के बच्चे रोज यहां 
उन्हे भव्य मंदिर बनाना जरूरी हैं ।
देख के देश के हालात रोता विजय 
लोगो की आंख खुलना अभी बाकी हैं ।
                        विजय वि गजबे

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मुझे नहीं चाहिए ये दुनिया जहा अपने ही धोखा दे जाते हैं रिश्ते नाते मतलब के है यहां अपने ही जिदंगी में जहर घोल जाते है किसपर करें हम यहां ऐतबार जहां रिश्ता सिर्फ़ मतलब का निभाते है इंसानियत से बड़ा यहां पैसा है सच्चे को हमेशा झुटा बतलाते है मुझे नहीं चाहिए ये दुनिया जहा अपने ही धोखा दे जाते हैं ©swarnvijay

#sunkissed  मुझे नहीं चाहिए ये दुनिया 
जहा अपने ही धोखा दे जाते हैं
रिश्ते नाते मतलब के है यहां 
अपने ही जिदंगी में जहर घोल जाते है
किसपर करें हम यहां ऐतबार 
जहां रिश्ता सिर्फ़ मतलब का निभाते है
इंसानियत से बड़ा यहां पैसा है 
सच्चे को हमेशा झुटा बतलाते है
मुझे नहीं चाहिए ये दुनिया 
जहा अपने ही धोखा दे जाते हैं

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#sunkissed

7 Love

सिर्फ कागजों में मिला गणतंत्र का मैं जशन मनाऊ कैसे ?...... चन्द मुट्ठीभर नेताओ का राज है मैं गणतंत्र दिन का झेंडा लहराऊ कैसे ? गरीबी बेरोजगारी भुखमरी है देश में किसानों का आत्महत्या करना भुलाऊ कैसे ? सिर्फ कागजों में मिला गणतंत्र का मैं जशन मनाऊ कैसे ?...... अमीरों के कदमों में पड़ी है देश की सरकार कोरोना में पैदल चले मजदूरों कि मौत भुलाऊं कैसे ? सिर्फ कागजों में मिला गणतंत्र का मैं जशन मनाऊ कैसे ?...... सोच रहा है विजय झेंडा लहराऊ कैसे //                         विजय वि गजबे ©swarnvijay

#RepublicDay  सिर्फ कागजों में मिला गणतंत्र का
मैं जशन मनाऊ कैसे ?......
चन्द मुट्ठीभर नेताओ का राज है 
मैं गणतंत्र दिन का झेंडा लहराऊ कैसे ?
गरीबी बेरोजगारी भुखमरी है देश में
किसानों का आत्महत्या करना भुलाऊ कैसे ? 
सिर्फ कागजों में मिला गणतंत्र का
मैं जशन मनाऊ कैसे ?......
अमीरों के कदमों में पड़ी है देश की सरकार
कोरोना में पैदल चले मजदूरों कि मौत भुलाऊं कैसे ?
सिर्फ कागजों में मिला गणतंत्र का
मैं जशन मनाऊ कैसे ?......
सोच रहा है विजय झेंडा लहराऊ कैसे //
                        विजय वि गजबे

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#RepublicDay

10 Love

जिस समाज के युवा समाज के प्रति जागृत नहीं और समाज में हो रहे अन्याय और लुट के खिलाफ आवाज नहीं उठा सकते ,समाज के लिए लढ़ नही सकते ।उस समाज की कई पीढ़ियां सिर्फ गुलाम पैदा होती है                                       विजय वि गजबे ©swarnvijay

#SardarPatel  जिस समाज के युवा समाज के प्रति जागृत नहीं और समाज में हो रहे अन्याय और लुट के खिलाफ आवाज नहीं उठा सकते ,समाज के लिए लढ़ नही सकते ।उस समाज की कई पीढ़ियां सिर्फ गुलाम पैदा होती है 
                                      विजय वि गजबे

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