तेरी यादों में दुनिया भूल जाया करतीं हूँ,
शामों में तेरी हल्की धूप खोजा करतीं हूँ ।
तेरी आंखों में, खुद को खोजा करती हूँ ।
तेरे लबों से मेरे नाम का ज़िक्र सुनती हूँ ,
तो ज़रा झिझक जाती हूँ , उसके बाद
घर तक सुर्ख गालों की लाली ,
और मुस्कराहट लिए जाया करतीं हूँ ।
खिड़की के बाहर उगते चांद को तेरे
बारे में बताया करतीं हूँ, हाँ हर रोज़
तेरी यादों में दुनिया भूल जाया करती हूँ।
©Atharv Sharma
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