Senty - Poet

Senty - Poet

Amateur poet

  • Latest
  • Popular
  • Video

White उजाले को उजागर कर मेरे भगवान तू। हटाकर धुंध की चादर, धुंआ मैदान तू । हमारी मंद बुद्धि में जगा,तू प्रेम का दीपक, जलाकर खाक कर देना, झूठी पहचान तू। अंधेरे ने हमें घेरा, कहां जाकर तुझे ढूंढे, किसे फ़रियाद करनी है,कहां मंदिर मसीह ढूंढे, स्याह रंग हो गया काला, मचा कोहराम चारों ओर, पुकारें, चीख आवाजें, तबाही दिख रही हर छोर, स्थाई मानकर खुद को, तुझे मेहमान कहता है। कहां तू छुप गया जाकर, मेरे भगवान कैसा है। तू तब भी था, और अब भी है, खुदा रहमान तू। उजाले को उजागर कर, मेरे भगवान तू । ©Senty - Poet

#नोजोटो #sad_quotes #ibadat #story  White उजाले को उजागर कर मेरे भगवान तू। 
हटाकर धुंध की चादर, धुंआ मैदान तू ।
हमारी मंद बुद्धि में जगा,तू प्रेम का दीपक,
जलाकर खाक कर देना, झूठी पहचान तू।

अंधेरे ने हमें घेरा, कहां जाकर तुझे ढूंढे,
किसे फ़रियाद करनी है,कहां मंदिर मसीह ढूंढे,
स्याह रंग हो गया काला, मचा कोहराम चारों ओर,
पुकारें, चीख आवाजें, तबाही दिख रही हर छोर,

स्थाई मानकर खुद को, तुझे मेहमान कहता है।
कहां तू छुप गया जाकर, मेरे भगवान कैसा है। 
तू तब भी था, और अब भी है, खुदा रहमान तू। 
उजाले को उजागर कर, मेरे भगवान तू ।

©Senty - Poet
#love_shayari  White आज फिर दिल प्यार 
करना चाहता है, बेझिझक,
इश्क़ में बीमार होना चाहता है, बेझिझक।
मैं तेरे हर पल रहूंगा साथ में, न फिक्र कर,
हाथ में फिर हाथ लेना 
चाहता है बेझिझक ।

©Senty - Poet

#love_shayari

126 View

#sad_shayari  White इन बादलों में जा छुपा है 
इश्क़ का वो रहनुमा , 
बस मुझे अब मेघ की ,
 दरकार है शौक ए तलब ।

महबूब की बस इक झलक ,
अब देखने की आरजू ,
बादलों की गर्जना से गीत 
की दरकार है इज्न ए तरब  ।

©Senty - Poet

#sad_shayari

171 View

किताबों में, मोहब्बत को, भले सौ बार तुम पढ़ लो, मोहब्बत कागज़ी लगती, मूल रिश्तें हैं कागज के | न करुणा है, न खुशबू है, न उनमें इश्क़ पागलपन, चमकते हैं दमकते हैं, फूल खिलते हैं कागज़ के । ©Senty - Poet

#इश्क #यार #लव #kitaab  किताबों में, मोहब्बत को, 
भले सौ बार तुम पढ़ लो,
मोहब्बत कागज़ी लगती,
मूल रिश्तें हैं कागज के |

न करुणा है, न खुशबू है,
न उनमें इश्क़ पागलपन,
चमकते हैं दमकते हैं,
फूल खिलते हैं कागज़ के ।

©Senty - Poet
#good_evening_images  White ढूंढने निकला जिसे
मैं भटकता दर बदर,
खाली मका, खाली शहर,
और दिल मिले खाली यहां।

इक सुबह की भोर में 
सूरज किरण खोजे जिसे,
सूखी धरा, सूखे शजर,
शिकवे मिले खाली यहां।

©Senty - Poet
#sad_shayari #ashiq #Pyar
Trending Topic