नवनीत ठाकुर

नवनीत ठाकुर Lives in Mandi, Himachal Pradesh, India

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चमक ने छुपा दी दिल की हर ख्वाहिशें, शोहरत की दौलत ने दी सिर्फ आज़माइशें। दौलत की बारिश से दिल प्यासा रहा, सुकून के दरिया का किनारा रहा। जो चाहा था दिल, वो हासिल न हुआ, जो मिला, उसमें सुकून काबिल न हुआ। सुकून ढूंढा, पर ठिकाना न मिला, शोहरत के बदले कोई अपना न मिला। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #कविता  चमक ने छुपा दी दिल की हर ख्वाहिशें,
शोहरत की दौलत ने दी सिर्फ आज़माइशें।

दौलत की बारिश से दिल प्यासा रहा,
सुकून के दरिया का किनारा रहा।

जो चाहा था दिल, वो हासिल न हुआ,
जो मिला, उसमें सुकून काबिल न हुआ।

सुकून ढूंढा, पर ठिकाना न मिला,
शोहरत के बदले कोई अपना न मिला।

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर चमक ने छुपा दी दिल की हर ख्वाहिशें, शोहरत की दौलत ने दी सिर्फ आज़माइशें। दौलत की बारिश से दिल प्यासा रहा, सुकून के दरिया का किनारा रहा। जो चाहा था दिल, वो हासिल न हुआ, जो मिला, उसमें सुकून काबिल न हुआ। सुकून ढूंढा, पर ठिकाना न मिला,

13 Love

कभी जो डर से जूझ रहा था, अब आकाश ने उसे अपनी ओर खींच लिया। कभी जो डर से जूझ रहा था, अब नभ ने उसे अपनी बाहों में समेट लिया। कभी जो डर से जूझ रहा था, अब फलक ने उसे अपनी सीमाओं से परे पहुंचा दिया। कभी जो डर से जूझ रहा था, अब आसमान ने उसे अपनी तरह चमका दिया। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #विचार  कभी जो डर से जूझ रहा था, 
अब आकाश ने उसे अपनी ओर खींच लिया।

कभी जो डर से जूझ रहा था, 
अब नभ ने उसे अपनी बाहों में समेट लिया।

कभी जो डर से जूझ रहा था, 
अब फलक ने उसे अपनी सीमाओं से परे पहुंचा दिया।

कभी जो डर से जूझ रहा था, 
अब आसमान ने उसे अपनी तरह चमका दिया।

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर कभी जो डर से जूझ रहा था, अब आकाश ने उसे अपनी ओर खींच लिया। कभी जो डर से जूझ रहा था, अब नभ ने उसे अपनी बाहों में समेट लिया। कभी जो डर से जूझ रहा था,

11 Love

हर घर की चौखट पे अरमान खड़े हैं, पर अंदर बस कुछ वीरान पड़े हैं। जहां रिश्तों की मिट्टी सूखी पड़ी है, वहां दीवारें बस खामोश खड़ी हैं। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #कविता  हर घर की चौखट पे अरमान खड़े हैं,
पर अंदर बस कुछ वीरान पड़े हैं।

जहां रिश्तों की मिट्टी सूखी पड़ी है,
वहां दीवारें बस खामोश खड़ी हैं।

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर हर घर की चौखट पे अरमान खड़े हैं, पर अंदर बस कुछ वीरान पड़े हैं। जहां रिश्तों की मिट्टी सूखी पड़ी है, वहां दीवारें बस खामोश खड़ी हैं।

15 Love

जिधर जाते हैं सब परिंदे, उधर जाना अच्छा होता, अगर ये सरहदों का फासला मिटाना अच्छा होता। फिज़ाओं में बहती है एक सी खुशबू हर तरफ, हर दिल में मोहब्बत का घर बसाना अच्छा होता। न होता ये बंटवारा जमीं और आसमां का, हर कोने में बस इंसां बसाना अच्छा होता। परिंदों की तरह बेखौफ उड़ते रहते हम भी, हर ख्वाब को अपना बनाना अच्छा होता। अगर न होते ये फर्क मज़हब और वतन के, हर साया बस अमन का ठिकाना अच्छा होता। तू भी मेरा, मैं भी तेरा, ये रिश्ता हो बस, हर जश्न में शामिल ज़माना अच्छा होता। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #कविता  जिधर जाते हैं सब परिंदे, उधर जाना अच्छा होता,
अगर ये सरहदों का फासला मिटाना अच्छा होता।

फिज़ाओं में बहती है एक सी खुशबू हर तरफ,
हर दिल में मोहब्बत का घर बसाना अच्छा होता।

न होता ये बंटवारा जमीं और आसमां का,
हर कोने में बस इंसां बसाना अच्छा होता।

परिंदों की तरह बेखौफ उड़ते रहते हम भी,
हर ख्वाब को अपना बनाना अच्छा होता।

अगर न होते ये फर्क मज़हब और वतन के,
हर साया बस अमन का ठिकाना अच्छा होता।

तू भी मेरा, मैं भी तेरा, ये रिश्ता हो बस,
हर जश्न में शामिल ज़माना अच्छा होता।

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर जिधर जाते हैं सब परिंदे, उधर जाना अच्छा होता, अगर ये सरहदों का फासला मिटाना अच्छा होता। फिज़ाओं में बहती है एक सी खुशबू हर तरफ, हर दिल में मोहब्बत का घर बसाना अच्छा होता। न होता ये बंटवारा जमीं और आसमां का,

13 Love

सपने देखें, उन्हें पूरा होने दे, सपनों की दुनिया में खुद को खोने दे। जो रास्ते अभी तक अनदेखे थे, उन पर बच्चों को कदम रखने दे। उनकी आँखों में जो चमक है, वो अंधेरों को भी रोशन कर देगी, जो ख्वाब दिल में पल रहे हैं, उन्हें हकीकत बनने दे। छोटे कदम, मगर इरादे बड़े हैं, जो हर मुश्किल को आसान बना देंगे, इनकी मेहनत से नया आसमान सजेगा, गिरकर ही ये नए रास्ते बना देंगे। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #कविता  सपने देखें, उन्हें पूरा होने दे,
सपनों की दुनिया में खुद को खोने दे।
जो रास्ते अभी तक अनदेखे थे,
उन पर बच्चों को कदम रखने दे।

उनकी आँखों में जो चमक है,
वो अंधेरों को भी रोशन कर देगी,
जो ख्वाब दिल में पल रहे हैं,
उन्हें हकीकत बनने दे।

छोटे कदम, मगर इरादे बड़े हैं,
जो हर मुश्किल को आसान बना देंगे,
इनकी मेहनत से नया आसमान सजेगा,
गिरकर ही ये नए रास्ते बना देंगे।

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर सपने देखें, उन्हें पूरा होने दे, सपनों की दुनिया में खुद को खोने दे। जो रास्ते अभी तक अनदेखे थे, उन पर बच्चों को कदम रखने दे। उनकी आँखों में जो चमक है, वो अंधेरों को भी रोशन कर देगी,

16 Love

इक सदी तक तो तमन्ना का सफ़र चलता रहा ओ नवनीत, फिर मुक़द्दर ने लिखी आख़िरी निशानी अपनी। ख़्वाब टूटे तो लगा जाग उठी है दुनिया, वरना हर नींद में थी सोई कहानी अपनी। चाहतें छोड़ के कुछ दर्द समेटे हमने, ये अमानत भी तो थी जान से प्यारी अपनी। कौन समझेगा ये अफ़साना-ए-ग़म का मंज़र, जब भी रोए हैं तो बस याद थी जवानी अपनी। जिनसे उम्मीद थी वो दूर नज़र आए हमें, छोड़ बैठे हैं वही राहगुज़ारी अपनी। हमने चाहा था जिसे, उसने भुला डाला हमें, और दुनिया से छुपा ली नज़्म सारी अपनी। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #शायरी  इक सदी तक तो तमन्ना का सफ़र चलता रहा ओ नवनीत,
फिर मुक़द्दर ने लिखी आख़िरी निशानी अपनी।

ख़्वाब टूटे तो लगा जाग उठी है दुनिया,
वरना हर नींद में थी सोई कहानी अपनी।

चाहतें छोड़ के कुछ दर्द समेटे हमने,
ये अमानत भी तो थी जान से प्यारी अपनी।

कौन समझेगा ये अफ़साना-ए-ग़म का मंज़र,
जब भी रोए हैं तो बस याद थी जवानी अपनी।

जिनसे उम्मीद थी वो दूर नज़र आए हमें,
छोड़ बैठे हैं वही राहगुज़ारी अपनी।

हमने चाहा था जिसे, उसने भुला डाला हमें,
और दुनिया से छुपा ली नज़्म सारी अपनी।

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर इक सदी तक तो तमन्ना का सफ़र चलता रहा ओ नवनीत, फिर मुक़द्दर ने लिखी आख़िरी निशानी अपनी। ख़्वाब टूटे तो लगा जाग उठी है दुनिया, वरना हर नींद में थी सोई कहानी अपनी। चाहतें छोड़ के कुछ दर्द समेटे हमने,

14 Love

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