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writer pain in pen
Jayesh
Thursday, 28 November | 11:06 pm
0 Bookings
Village Life मैंने दूर तक देखा, तो मुझे खाली मैदान दिखा । पीछे मूड के देखा, तो मुशाफिर हैरान दिखा फिर आईना आया सामने मेरे, तो मैं खुद को परेशान दिखा । मैंने अब खुद मैं झाका तो मुझे शैतान दिखा। मैने झट से टटोला अपने दिल को तो मुझे मेरा भगवान् दिखा ।। ©Jayesh
14 Love
White रेल की पटरी सी जाती है तू। मैं यात्री सा तेरे पीछे आता हु। मेरी मंजिल से मुझे तरसती तू। मैं तेरे सफर मैं धक्के खाता हु। पहले सावन की घटा सी छाती है तू। मैं पपीहे सा तेरी बारिश को तरसता जाता हु। ©Jayesh
15 Love
White खुली है आंखें मेरी पर दिन मैं अधेरा नजर आता है। मुद्दोसी का है ये आलम के मुझे रात मैं सवेरा नकल आता है। खुद से ही हो रहा हु मैं खत्म कोई है जो मुझे अंदर से खाता है। अब पानी तो है बस मेरी आंखों मैं, आसमा तो बस मुझपे दुःख बरसाता है। ©Jayesh
11 Love
Friday, 22 November | 12:17 am
2 Bookings
Thursday, 21 November | 05:43 pm
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