sumit kumar verma

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Ex software developer, shayar

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मैं गया जहां भी, बस तेरी आरजू मुझको तड़पाती, रुलाती, सबसे, प्यारी ,सूरत तेरी मां तुझे सलाम ,वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे मातरम ©sumit kumar verma

#फ़िल्म #IndianRepublic #ilovemyindia #Indian #India  मैं गया जहां भी, बस तेरी आरजू मुझको तड़पाती, रुलाती, सबसे, प्यारी ,सूरत तेरी मां तुझे सलाम ,वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे मातरम

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happy republic day #India #Indian #ilovemyindia #IndianRepublic

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#शायरी #Help  😭

#Love #Help

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#शायरी #nojoyohindi #Midnight #alone #SAD  साथ थे कभी राह में, आज तन्हां गुजर रहे ऐ बातें, वो बातें,
 जाने कहां गए वह हसीन रातें

©sumit kumar verma

और गिर कर बोला यही जिंदगी है, खिलना ,मुरझाना फिर टूट कर मिट्टी में मिल जाना ©sumit kumar verma

#शायरी #nojohindi #Zindagi #vichar #masti  और गिर कर बोला यही जिंदगी है, खिलना ,मुरझाना फिर टूट कर मिट्टी में मिल जाना

©sumit kumar verma
#शायरी #monuments #nojohindi #wondering #Building #alone  विरान बस्ती, उजड़ा चमन, यही है कल की निशानी।
 जो कल आबाद था, वह देखो आज कैसे बर्बाद हो गया।।

©sumit kumar verma
#ramdharisinghdinkar #nojohindi #newyear #India #Hindi  
ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं, है अपना ये त्यौहार नहीं, है अपनी ये तो रीत नहीं, है अपना ये व्यवहार नहीं।
धरा ठिठुरती है सर्दी से,आकाश में कोहरा गहरा है,
बाग बाज़ारों की सरहद पर, सर्द हवा का पहरा है।  सूना है प्रकृति का आँगन, कुछ रंग नहीं , उमंग नहीं, हर कोई है घर में दुबका हुआ, नव वर्ष का ये कोई ढंग नहीं।
चंद मास अभी इंतजार करो, निज मन में तनिक विचार करो, नये साल नया कुछ हो तो सही, क्यों नकल में सारी अक्ल बही। 
उल्लास मंद है जन -मन का, आयी है अभी बहार नहीं, ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं, है अपना ये त्यौहार नहीं, ये धुंध कुहासा छंटने दो, रातों का राज्य सिमटने दो, प्रकृति का रूप निखरने दो, फागुन का रंग बिखरने दो, प्रकृति दुल्हन का रूप धार, जब स्नेह – सुधा बरसायेगी, शस्य – श्यामला धरती माता, घर -घर खुशहाली लायेगी,
तब चैत्र शुक्ल की प्रथम तिथि, नव वर्ष मनाया जायेगा, आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर, जय गान सुनाया जायेगा,युक्ति – प्रमाण से स्वयंसिद्ध,
        नव वर्ष हमारा हो प्रसिद्ध,आर्यों की कीर्ति सदा -सदा,
         नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा,  अनमोल विरासत के धनिकों को,चाहिये कोई उधार नहीं,
     
 ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं, है अपना ये त्यौहार नहीं
 है अपनी ये तो रीत नहीं, है अपना ये त्यौहार नहीं
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर

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