kavi Rajan Bhadauriya

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Agra ये माना जख़्म तो भर वक्त ने दिये लेकिन । कसक बची है अभी तक निशान बाकी है ।

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मुखौटा राम का पहने हृदय रावण छुपाये हैं । अभी तक आचरण में कंश दुर्योधन समाये हैं । बताओ इस तरह से अंत क्या होगा बुराई का । जला पाये नहीं रावण फ़कत पुतले जलाये हैं । ©kavi Rajan Bhadauriya

#मुक्तक #शायरी  मुखौटा राम का पहने हृदय रावण छुपाये हैं ।
अभी तक आचरण में कंश दुर्योधन समाये हैं ।
बताओ इस तरह से अंत क्या होगा बुराई का ।
जला पाये नहीं रावण फ़कत पुतले जलाये हैं ।

©kavi Rajan Bhadauriya

विश्व योग दिवस की बहुत-बहुत बधाइयाँ व शुभकामनाएं सकारात्मक सोच हो,काया रहे निरोग । रहता चित्त प्रसन्न है,नित्य करे जो योग । ©kavi Rajan Bhadauriya

#कविता #YogaDay2022  विश्व योग दिवस की बहुत-बहुत बधाइयाँ व शुभकामनाएं 


सकारात्मक सोच हो,काया रहे निरोग ।
रहता चित्त प्रसन्न है,नित्य करे जो योग ।

©kavi Rajan Bhadauriya
#गर्दिश #शायरी  

वक्त की गर्दिश में दबकर खो गई शायद कहीं ।
अपनी ही सूरत मुझे अब अजनबी लगने लगी ।
हद से ज्यादा रोशनी चुभने लगी जो आँख को ।
दिल को अब देती सुकूं ये तीरगी लगने लगी ।

©kavi Rajan Bhadauriya

#गर्दिश SHANU KI सरगम @kiran kee kalam se @POOJA UDESHI @pooja sharma Sudha Tripathi

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मैं खूब जानता था रकीबों की वज़्म है । उसने बुलाबा भेजा तो आना पड़ा मुझे । लब थरथरा रहे थे नमी आँख में थी पर । जिद पे वो अड़ गये थे तो गाना पड़ा मुझे । ©kavi Rajan Bhadauriya

#जाना_पड़ा_मुझे #शायरी  मैं खूब जानता था रकीबों की वज़्म है ।
उसने बुलाबा भेजा तो आना पड़ा मुझे ।
लब थरथरा रहे थे नमी आँख में थी पर ।
जिद पे वो अड़ गये थे तो गाना पड़ा मुझे ।

©kavi Rajan Bhadauriya

लुटेरे हर कदम मिलते कहीं रहबर नहीं मिलता । खलिश मिलती सुकूं का तो कहीं मंजर नहीं मिलता । अकड़ती दम्भ से मिलतीं कई अट्टालिकाएँ पर । जहाँ श्रृद्धा से सिर नत हो कहीं वो दर नहीं मिलता । ©kavi Rajan Bhadauriya

#शायरी #रहबर  लुटेरे हर कदम मिलते कहीं रहबर नहीं मिलता ।
खलिश मिलती सुकूं का तो कहीं मंजर नहीं मिलता ।
अकड़ती दम्भ से मिलतीं कई अट्टालिकाएँ पर ।
जहाँ श्रृद्धा से सिर नत हो कहीं वो दर नहीं मिलता ।

©kavi Rajan Bhadauriya

#रहबर नहीं मिलता SHANU KI सरगम @Divya patle @Anshu writer Sudha Tripathi @Neha Tiwari

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अपना पता वो पूछ के रुखसत हुआ मगर । मेरा पता मुझे ही भुलाकर चला गया । उसकी छुअन में बर्फ सा अहसास था मगर । तन मन में फिर भी आग लगाकर चला गया । ©kavi Rajan Bhadauriya

#शायरी #क़तअ  अपना पता वो पूछ के रुखसत हुआ मगर ।
मेरा पता मुझे ही भुलाकर चला गया ।
उसकी छुअन में बर्फ सा अहसास था मगर ।
तन मन में फिर भी आग लगाकर चला गया  ।

©kavi Rajan Bhadauriya
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