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Agra ये माना जख़्म तो भर वक्त ने दिये लेकिन । कसक बची है अभी तक निशान बाकी है ।
मुखौटा राम का पहने हृदय रावण छुपाये हैं । अभी तक आचरण में कंश दुर्योधन समाये हैं । बताओ इस तरह से अंत क्या होगा बुराई का । जला पाये नहीं रावण फ़कत पुतले जलाये हैं । ©kavi Rajan Bhadauriya
kavi Rajan Bhadauriya
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विश्व योग दिवस की बहुत-बहुत बधाइयाँ व शुभकामनाएं सकारात्मक सोच हो,काया रहे निरोग । रहता चित्त प्रसन्न है,नित्य करे जो योग । ©kavi Rajan Bhadauriya
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मैं खूब जानता था रकीबों की वज़्म है । उसने बुलाबा भेजा तो आना पड़ा मुझे । लब थरथरा रहे थे नमी आँख में थी पर । जिद पे वो अड़ गये थे तो गाना पड़ा मुझे । ©kavi Rajan Bhadauriya
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लुटेरे हर कदम मिलते कहीं रहबर नहीं मिलता । खलिश मिलती सुकूं का तो कहीं मंजर नहीं मिलता । अकड़ती दम्भ से मिलतीं कई अट्टालिकाएँ पर । जहाँ श्रृद्धा से सिर नत हो कहीं वो दर नहीं मिलता । ©kavi Rajan Bhadauriya
अपना पता वो पूछ के रुखसत हुआ मगर । मेरा पता मुझे ही भुलाकर चला गया । उसकी छुअन में बर्फ सा अहसास था मगर । तन मन में फिर भी आग लगाकर चला गया । ©kavi Rajan Bhadauriya
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