White किसी सपने खातिर भागे क्या,
उसे जीने खातिर जागे क्या,
जिस जीवन का भरते हो दंभ
उसे पाने खातिर त्यागे क्या?
क्या लड़ा कभी खुद से तुमने,
तुम शर्त कभी कोई हारे क्या,
क्या चले हो ऐसे राह कभी,
जहां पता नहीं हो आगे क्या
उस मंजिल तक जाने खातिर,
जीवन से मौके मांगे क्या,
जिस जीवन का भरते हो दंभ,
उसे पाने खातिर त्यागे क्या??
विरले ही हुए हैं वीर यहां,
जो रण में कभी न हारे हों।
पर संघर्षों में तपकर ही,
वो साधक से वीर बने।
हर सपने का मोल कोई,
सबको ही चुकाना पड़ता है।
पर जिनके सपने असली हों,
बस वही अंत तक चलता है।
गिरकर चलना खुद सीखे क्या,
कहो सहा तंज कोई तीखे क्या,
जो लड़ते रहे अबतक खुद से तो,
कहो जंग कोई जीते क्या।
इस जीवन के तपोवन में,
हर छड़ लड़ना है युद्ध नया।
हारा है वही जो तपा नहीं,
जो सीखें दाव वो जीत गए।
असफलता के शिखर पर ही,
सबने लिखा है जीत गान,
घूमता है निरंतर कर्म रथ,
जो किए कर्म, वो हुए महान।।
©Vishwas Pradhan
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