Vishwas Pradhan

Vishwas Pradhan Lives in Varanasi, Uttar Pradesh, India

जिंदगी के समझ को शब्दों में पिरोकर, कुछ मिलने की उम्मीद में जो ना पाया उसे खोकर, कभी इश्क़ कभी सबक या तंज करता किरदार हूँ। कहानियां समेटकर दुनिया की, पन्नो पे लिखता मैं एक कलमकार हूँ।।

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White उस चश्म को हम, आयतें-आफताब लिखते हैं। रुखसार को,  रोशन-ए-महताब लिखते है। इन ख्यालों में जिसकी तवज्जो है इतनी, उस भ्रम को हम हुस्न की किताब लिखते हैं। आंखों में डूबने को शबाब लिखते हैं । मयखाने की मल्लिका को शराब लिखते हैं। नासाज़ कर दी जिसने जवानी ये मेरी, उस नशे को हम दोपहरी-ख्वाब लिखते हैं।।२ इश्क एक-तरफा हो तो खराब लिखते हैं। शायरों को अक्सर, ग़में-मिजाज लिखते हैं। केवल जानकी वियोग का हिसाब रखने वाले, मोहन तड़पें तो, प्रेम लाजवाब लिखते हैं।।३ एक अरसे तक चाहा, जिसे आज लिखते हैं। महज़ शायरी नहीं, हम तल्ख़े-ताज़ लिखते हैं। खुदगर्ज होना हो भले दस्तूर जमाने का, आज भी अपने गीतों में, उसे ही साज़ लिखते हैं।।४ ©Vishwas Pradhan

#love_shayari #Jeevan #kavita #kahani  White  उस चश्म को हम, आयतें-आफताब लिखते हैं।
रुखसार को,  रोशन-ए-महताब लिखते है।
इन ख्यालों में जिसकी तवज्जो है इतनी,
उस भ्रम को हम हुस्न की किताब लिखते हैं।

आंखों में डूबने को शबाब लिखते हैं ।
मयखाने की मल्लिका को शराब लिखते हैं।
नासाज़ कर दी जिसने जवानी ये मेरी,
उस नशे को हम दोपहरी-ख्वाब लिखते हैं।।२

इश्क एक-तरफा हो तो खराब लिखते हैं।
शायरों को अक्सर, ग़में-मिजाज लिखते हैं।
केवल जानकी वियोग का हिसाब रखने वाले,
मोहन तड़पें तो, प्रेम लाजवाब लिखते हैं।।३

एक अरसे तक चाहा, जिसे आज लिखते हैं।
महज़ शायरी नहीं, हम तल्ख़े-ताज़ लिखते हैं।
खुदगर्ज होना हो भले दस्तूर जमाने का,
आज भी अपने गीतों में, उसे ही साज़ लिखते हैं।।४

©Vishwas Pradhan

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12 Love

White फख़्त ये आजमा लेना, भले दस्तूर जो भी हो। निहायत इश्क होगा तो, चांद बदनाम भी होगा।। बदलते मौसमों का एक कुनबा साथ है मेरे, फ़िदायीन रात जाने दो, मुबारक़ शाम भी होगा। मंजिल दूर जरा ख्वाबों की फेहरिस्त है लंबी, मुसाफ़िर आज हैं तो क्या, हमारा नाम भी होगा। मुद्दतों की तंगदस्ती से कुछ पल का ही रिश्ता है, मुश्किल आज है तो, कल सफ़र आसान भी होगा।। ©Vishwas Pradhan

#मोटिवेशनल #हिंदी #कविता #शायरी  White  फख़्त ये आजमा लेना, भले दस्तूर जो भी हो।
निहायत इश्क होगा तो, चांद बदनाम भी होगा।।

 बदलते मौसमों का एक कुनबा साथ है मेरे,
फ़िदायीन रात जाने दो, मुबारक़ शाम भी होगा।

मंजिल दूर जरा ख्वाबों की फेहरिस्त है लंबी,
मुसाफ़िर आज हैं तो क्या, हमारा नाम भी होगा।

मुद्दतों की तंगदस्ती से कुछ पल का ही रिश्ता है,
मुश्किल आज है तो, कल सफ़र आसान भी होगा।।

©Vishwas Pradhan

भीड़ में जयघोष का सैलाब लेके आया था, लाज़िमी है कि वो लड़का ख़्वाब लेके आया था। ये ज़मीं फिरदौस कहता, ये वतन आजाद है,  वो महज लड़का आजादी का, इंकलाब लेके आया था।। ©Vishwas Pradhan

#bhagatsingh #Deshbhakti #bharatsher  भीड़ में जयघोष का सैलाब लेके आया था,
लाज़िमी है कि वो लड़का ख़्वाब लेके आया था।
ये ज़मीं फिरदौस कहता, ये वतन आजाद है,
 वो महज लड़का आजादी का, इंकलाब लेके आया था।।

©Vishwas Pradhan

White वो गांव की लड़की शहर में रहती थी,     मैं शहर तो गया , मुझमें गांव रह गया।।      मुझ जैसे कितनो से मिलके मैं  हम बन गया,    उसका मिलना मगर बदलने का आलम बन गया।।  मेरे सपनो में उसकी आंखे, उसकी बातें,  उसके रस्ते, उसकी गलियां । उसका सपना बड़ा घर, नए लोग,  अच्छा जीवन, सारी खुशियां।। कभी मिला नहीं, कोई गिला नहीं,  उसे समझा तो खूब मगर जाना नहीं।  कुछ बातें हुई तो सारे किस्से सुनाए, उसकी मर्जी थी उसने माना नहीं।। उसकी नजर किसी अच्छे पर थी शायद बेहतर पे,  मुझमें बदलाव अभी बाकी थे ।। क्यूं मिलूं उसे मैं कैसे मुझे वो मिले,  कशमकश के दौर में,  यही ख्वाब मेरे साथी थे।। मैंने प्रेम चुना था, बुरा भी कैसे सोचता, उसके हर शब्दो में मेरी बदनामी थी। समेट के स्वाभिमान चला, मैं हारा, प्रेम बचा पर, सुरूप को प्रेम समझ लेना ये मेरी नादानी थी।। तमाम कोशिशों को उसकी मंजूरी नहीं थी, लौट आया मैं सवालों में प्रेम खोजकर प्रेम तो था मगर वो जरूरी नहीं थी।। सबको हक है चुनने को,  याकि मन या जीवन अच्छा। प्रेम गांव में सहज है मिलना,  शहरों का बस भ्रम है अच्छा।। ©Vishwas Pradhan

#love_shayari #MyPoetry  White  वो गांव की लड़की शहर में रहती थी,
    मैं शहर तो गया , मुझमें गांव रह गया।।

     मुझ जैसे कितनो से मिलके मैं  हम बन गया,
   उसका मिलना मगर बदलने का आलम बन गया।।

 मेरे सपनो में उसकी आंखे, उसकी बातें, 
उसके रस्ते, उसकी गलियां ।

उसका सपना बड़ा घर, नए लोग, 
अच्छा जीवन, सारी खुशियां।।

कभी मिला नहीं, कोई गिला नहीं, 
उसे समझा तो खूब मगर जाना नहीं।

 कुछ बातें हुई तो सारे किस्से सुनाए,
उसकी मर्जी थी उसने माना नहीं।।

उसकी नजर किसी अच्छे पर थी शायद बेहतर पे, 
मुझमें बदलाव अभी बाकी थे ।।

क्यूं मिलूं उसे मैं कैसे मुझे वो मिले,

 कशमकश के दौर में,
 यही ख्वाब मेरे साथी थे।।

मैंने प्रेम चुना था, बुरा भी कैसे सोचता,
उसके हर शब्दो में मेरी बदनामी थी।

समेट के स्वाभिमान चला, मैं हारा, प्रेम बचा पर,
सुरूप को प्रेम समझ लेना ये मेरी नादानी थी।।

तमाम कोशिशों को उसकी मंजूरी नहीं थी,
लौट आया मैं सवालों में प्रेम खोजकर
प्रेम तो था मगर वो जरूरी नहीं थी।।

सबको हक है चुनने को, 
याकि मन या जीवन अच्छा।

प्रेम गांव में सहज है मिलना, 
शहरों का बस भ्रम है अच्छा।।

©Vishwas Pradhan

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13 Love

White तस्वीर तुम्हारी कोई पुरानी,  आज भी जब दिख जाती तो। जी करता कुछ पल खुश हो लूं,  की तुमसे प्रेम हुआ था। मन में ठहरा कोई घाव कभी  जब आंखो में दिख जाता तो। जी करता खुद को कोसूं,   कि क्यूं तुमसे प्रेम हुआ था। तुमको देखा तो प्रेम मिला,              फिर पाने का ठान लिया। तुमको समझा तो ये जाना ,              एक भ्रम को जीवन मान लिया। तुम मिले तो भ्रम का भेद खुला,  ये जाना सबकुछ प्रेम नहीं। मन को भी चमकते रहना है, तन की सुघराई प्रेम नहीं। सुंदर फूलों पे भंवरे भी,  कुछ पल तक ही मंडराते हैं। जब तक है रस, मन भरते हैं,   फिर लौट उसी घर जातें हैं।। जो मन का हो, तो ख्वाब सही,                    सपने पूरे तो सफल मेहनत। जो मिला ना कुछ, वो मेरा नहीं                    क्यों कोसे फिर ऐसी किस्मत''। क्यूं गम में रहे, तुम मिली नहीं,  सबके हिस्से है प्रेम कभी। मैं तुम तक था और तुम थी कहीं,   समय के हैं ये खेल सभी। नए लोग मिले, वो साथ चले,  ये महज चुनाव हमारा है। कोई चला नहीं, गर अंतिम तक,  मन एक चुनाव बस हारा है।  मन का मिलना, यादें जुड़ना,  सब चक्र रचा उस नियती ने। भले राम हुए या कृष्ण बने,  सबको ही प्रेम ये प्यारा है। ©Vishwas Pradhan

#Sad_Status #MyPoetry #Hindi  White तस्वीर तुम्हारी कोई पुरानी,
 आज भी जब दिख जाती तो।
जी करता कुछ पल खुश हो लूं,
 की तुमसे प्रेम हुआ था।
मन में ठहरा कोई घाव कभी
 जब आंखो में दिख जाता तो।
जी करता खुद को कोसूं,
  कि क्यूं तुमसे प्रेम हुआ था।

           तुमको देखा तो प्रेम मिला, 
            फिर पाने का ठान लिया।
             तुमको समझा तो ये जाना ,
             एक भ्रम को जीवन मान लिया।

तुम मिले तो भ्रम का भेद खुला,
 ये जाना सबकुछ प्रेम नहीं।
मन को भी चमकते रहना है,
तन की सुघराई प्रेम नहीं।
सुंदर फूलों पे भंवरे भी,
 कुछ पल तक ही मंडराते हैं।
जब तक है रस, मन भरते हैं,
  फिर लौट उसी घर जातें हैं।।

                 जो मन का हो, तो ख्वाब सही,
                   सपने पूरे तो सफल मेहनत।
                 जो मिला ना कुछ, वो मेरा नहीं
                   क्यों कोसे फिर ऐसी किस्मत''।
क्यूं गम में रहे, तुम मिली नहीं,
 सबके हिस्से है प्रेम कभी।
मैं तुम तक था और तुम थी कहीं,
  समय के हैं ये खेल सभी।

                            नए लोग मिले, वो साथ चले, 
                         ये महज चुनाव हमारा है।
                कोई चला नहीं, गर अंतिम तक, 
       मन एक चुनाव बस हारा है।
 मन का मिलना, यादें जुड़ना, 
सब चक्र रचा उस नियती ने।
भले राम हुए या कृष्ण बने,
 सबको ही प्रेम ये प्यारा है।

©Vishwas Pradhan

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1 Love

White कंकड़ कंकड़ पत्थर हुआ,फिर पत्थर बना पहाड़।बिन कंकड़ ना पत्थर है, ना पत्थर बिना पहाड़।। बारिश की बूंदे नदियां भरती, नदियां बहे हजार। जब नदियां सागर को मिली, तब मिला पानी को धार।। झुंड भले हो तारों का, बिन चंदा चमक बेकार। बिन तारों के गगन घर खाली,कोई घर में हो जैसे बीमार।। ©Vishwas Pradhan

 White  कंकड़ कंकड़ पत्थर हुआ,फिर पत्थर बना पहाड़।बिन कंकड़ ना पत्थर है, ना पत्थर बिना पहाड़।।
बारिश की बूंदे नदियां भरती, नदियां बहे हजार।
जब नदियां सागर को मिली, तब मिला पानी को धार।।
झुंड भले हो तारों का, बिन चंदा चमक बेकार।
 बिन तारों के गगन घर खाली,कोई घर में हो जैसे बीमार।।

©Vishwas Pradhan

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14 Love

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