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White मौन अभिमंत्रित हुए स्नेह के सब पात पीले भाव मोती झड़ रहे हैं शून्य गढ़ते हाथ गीले शांत शीतल रश्मियों की सुन रही पुकार भावनाओं में बहाती चल पड़ी बयार ©shalini jha
shalini jha
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White इस देह के परे मिल जाए कभी तू, जाने कब से मेरी रूह को तेरी रूह को तलाश है ©shalini jha
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बाहरी शोर से दूर भागने के प्रयास में अंतरिक गूंज अपने चरम पर होती है ।मौन की साधना में लीन मन एकाग्र होने की प्रक्रिया में जाने कितनी ही अनुभूतियों की संवेदनाओं से गुजरता है। ©shalini jha
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