मैं शिक्षक हूं... मैं शिक्षक हूं..
तन मन से तम हरकर, दीपक होना ही मेरा परिचय
मैं एक बिंदु मैं ज्ञान सिंधु,मेरा है अनन्त विस्तार
मेरे कथन से ही संभव सृजन,मेरे कथन से ही भीषण संहार
शेष रहे न जग में कुछ भी,मैं मुक्ति मन्त्र का गायक हूं
आदिकाल से मैं ही जग में, अपराजित काल विधायक हूँ
दधीचि बन मैंने ही प्रचंड वज्र बनाया था
एक वार के जिसके पूरा ब्रह्माण्ड कंपकपाया था
विश्वामित्र बनकर मैंने ही श्रीराम बनाया था
वशिष्ठ की सीखो से ही मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाया था
विवेकानंद बनकर बनकर मैंने जीवन दर्शन खोला था
मेरी ही एक प्रतिज्ञा से नन्द वंश का सिंहासन डोला था
वेदों की ऋचा लिखकर,जीवन का मधुमय गान किया
हर तम हरकर मैंने ही मृत को अमरत्व प्रदान किया
एपीजे के दर्शन में राधाकृष्णन के समर्पण में मैं ही सिर्फ मैं ही समाया था
महाराणा की आन में अर्जुन के तीक्ष्ण बाण में मैं ही सिर्फ गहराया था
गांधी सुकरात प्लेटो में मैं ही जिन्दा आखर हूं
मैं बंधा नहीं हूं सीमा में सारी धरती मेरा घर है
मैं हूं अखंड अविरल धारा,कर सकता क्या कोई खंडित
जिसने मुझे साध लिया कर दिया उसको महिमा मंडित
है मुझको गर्व महान जो राष्ट्र मेरा दिवस मनाता है
मेरा अभिनन्दन करता है, मुझको निज शीश झुकाता है
है मेरा कर्तव्य भी,नित्य ज्ञान गंगा में नहाउ मैं
चलू सृजन के पंथ पर सदैव ,अपना युगधर्म निभाऊं मैं
"गुरु साक्षात् परम ब्रह्म" हो तो फिर कैसा विस्मय
तन मन से तम हरकर दीपक होना मेरा परिचय...
मैं शिक्षक हूं.......✍️ *निसार*
शिक्षक दिवस की अनन्त शुभकामनाएं
©नितिन "निसार"
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