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Ks Vishal

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सिर्फ पढ़ने तक ही सीमित रहिये मोहतरमा हमारे बारे जान जाओगी तो तड़प जाओगी।

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फिर कब ऐसी नादानी होह फिर से वही कहानी हो जाने वो कब अब्र बने आग पिघल कर पानी हो मजनू जब जब पागल हो लैला भी दीवानी हो फिर तुम ख्वाबों में आओ मिलने में आसानी हो दुनिया की न फिक्र करें चादर हमने तानी हो सूरत अनजानी हो पर आँखें कुछ पहचानी हो लुत्फ़ सफर का आ जाये दरिया में और रवानी हो उसको मैं न लिख पाऊँ वो बस याद ज़बानी हो आग लगा ही देते हैं जिनको आग लगानी हो लहरों को क्या देखेगा जिसको कश्ती ले जानी हो सागर क्या और नदिया क्या जिसको राख बहानी हो अपनी नींदें खुद लाना जो तुमको रात बितानी हो मेरी तो बस इक ही मर्ज़ी थोड़ी सी मनमानी हो नींद बताकर आती है नींद मुझे जो आनी हो ऐसा कुछ मत करना अब जिससे मुझको हैरानी हो मज़ा तो तब है रिश्ते का तुमने भी जब ठानी हो ©Ks Vishal

#ज़िन्दगी #sadak  फिर कब ऐसी नादानी होह फिर से वही कहानी हो

जाने वो कब अब्र बने आग पिघल कर पानी हो

मजनू जब जब पागल हो लैला भी दीवानी हो

फिर तुम ख्वाबों में आओ मिलने में आसानी हो

दुनिया की न फिक्र करें चादर हमने तानी हो

सूरत अनजानी हो पर आँखें कुछ पहचानी हो

लुत्फ़ सफर का आ जाये दरिया में और रवानी हो

उसको मैं न लिख पाऊँ वो बस याद ज़बानी हो

आग लगा ही देते हैं जिनको आग लगानी हो

लहरों को क्या देखेगा जिसको कश्ती ले जानी हो

सागर क्या और नदिया क्या  जिसको राख बहानी हो

अपनी नींदें खुद लाना  जो तुमको रात बितानी हो

मेरी तो बस इक ही मर्ज़ी थोड़ी सी मनमानी हो

नींद बताकर आती है  नींद मुझे जो आनी हो

ऐसा कुछ मत करना अब  जिससे मुझको हैरानी हो

मज़ा तो तब है रिश्ते का तुमने भी जब ठानी हो

©Ks Vishal

#sadak 365

15 Love

क्या मजबूरी है कि टूटा हुआ ख़्वाब रखना पड़ता है यही वजह हैं कि आँखों मे सैलाब रखना पड़ता है आदमी जिये जा रहा है सालों के हिसाब से ज़िन्दगी मुझे तो पहर दर पहर का हिसाब रखना पड़ता है इस दुनिया को इजाज़त है कई सवाल छोड़ देने की एक मैं हूँ जिसे हर सवाल का जवाब रखना पड़ता है मैंने तो रखा हुआ है अपना एक ही चेहरा सबके लिए और दुनिया को हर एक के लिए नकाब रखना पड़ता है ©Ks Vishal

#ज़िन्दगी #silhouette  क्या मजबूरी है कि टूटा हुआ ख़्वाब रखना पड़ता है
यही वजह हैं कि आँखों मे सैलाब रखना पड़ता है

आदमी जिये जा रहा है सालों के हिसाब से ज़िन्दगी
मुझे तो पहर दर पहर का हिसाब रखना पड़ता है

इस दुनिया को इजाज़त है कई सवाल छोड़ देने की
एक मैं हूँ जिसे हर सवाल का जवाब रखना पड़ता है

मैंने तो रखा हुआ है अपना एक ही चेहरा सबके लिए
और दुनिया को हर एक के लिए नकाब रखना पड़ता है

©Ks Vishal

#silhouette 364

11 Love

लिखूँ मैं शब्द कितने ही पर उसका सार हैं श्री राम कहानी है भले मेरी मगर किरदार हैं श्री राम वो मेरे दुःख में रोते हैं वो मेरे सुख में हँसते हैं मैं उनको अपना कहता हूँ मेरा परिवार हैं श्री राम कहीं पर जल, कहीं अग्नि, कहीं पृथ्वी कहीं आकाश मैं जिसमें देखना चाहूँ वही आकार हैं श्री राम अगर दुनिया ये नदिया है अगर जीवन ये नैय्या है अगर नैय्या भँवर में है तो फिर पतवार हैं श्री राम मेरी दृष्टि उन्हें देखे मेरी जिव्हा उन्हें गाये मैं अपने पाँव पर हूँ किंतु मेरा आधार हैं श्री राम मेरा हर वाक्य उनका है मेरी हर बात है उनकी मेरी बाहर की दुनिया से मेरा व्यवहार हैं श्री राम ©Ks Vishal

#ज़िन्दगी #ramsita  लिखूँ मैं शब्द कितने ही पर उसका सार हैं श्री राम
कहानी  है  भले  मेरी  मगर  किरदार  हैं  श्री  राम

वो  मेरे  दुःख  में रोते  हैं  वो  मेरे  सुख में हँसते हैं
मैं उनको अपना कहता हूँ मेरा परिवार हैं श्री राम

कहीं पर जल, कहीं अग्नि, कहीं पृथ्वी कहीं आकाश
मैं  जिसमें  देखना  चाहूँ  वही  आकार हैं श्री राम

अगर दुनिया ये नदिया है अगर जीवन ये नैय्या है 
अगर नैय्या भँवर में है तो फिर पतवार हैं श्री राम

मेरी   दृष्टि   उन्हें   देखे  मेरी  जिव्हा  उन्हें  गाये
मैं अपने पाँव पर हूँ किंतु मेरा आधार हैं श्री राम

मेरा हर वाक्य उनका है मेरी हर बात है उनकी
मेरी बाहर की दुनिया से मेरा व्यवहार हैं श्री राम

©Ks Vishal

#ramsita

14 Love

मैं उस दिन कितना टूटा हुआ था तुम्हें क्या पता लिए थे जिस दिन तुमने सात फेरे मेरे जीवन मे घिर आये थे अंधेरे तुम्हें तो रौशनी का घर मिला था एक खूबसूरत सा सफर मिला था मगर मेरा हर एक सपना उसी दिन एक झटके में झूठा हुआ था तुम्हें क्या पता मैं उस दिन कितना टूटा हुआ था तुम्हें क्या पता बसाई तुमने थी एक नई बस्ती मिटाई थी अपने दिल में मेरी हस्ती तुम अपनी रूह से मुझको छुड़ा रहीं थीं और अपने मेहंदी के रंग पे इतरा रहीं थीं मेरी ज़िंदगी का हर एक रंग उस दिन अपनी दीवार से छूटा हुआ था तुम्हें क्या पता मैं उस दिन कितना टूटा हुआ था तुम्हें क्या पता मेरे हिस्से में बस आँसू बच गए थे तुम्हारे धरती गगन सब सज गए थे मुझे है याद अब तक जो कुछ हुआ था तुम्हारा भगवान तुम पर खुश हुआ था मगर मेरा तो रब उसी दिन से मुझसे रूठा हुआ था तुम्हें क्या पता मैं उस दिन कितना टूटा हुआ था तुम्हें क्या पता धीरे धीरे मैंने अब ख़ुद को है बनाया एक मुकम्मल जहान है खुद का बसाया वो पुराने दिन अब कुबूल नहीं सकता मगर वो दिन भी मैं भूल नहीं सकता मेरे सपनों का शहर किसी ने हर तरफ लूटा हुआ था तुम्हें क्या पता मैं उस दिन कितना टूटा हुआ था तुम्हें क्या पता ©Ks Vishal

#ज़िन्दगी #chaandsifarish  मैं उस दिन कितना टूटा हुआ था तुम्हें क्या पता

लिए थे जिस दिन तुमने सात फेरे मेरे जीवन मे घिर आये थे अंधेरे
तुम्हें तो रौशनी का घर मिला था एक खूबसूरत सा सफर मिला था
मगर मेरा हर एक सपना उसी दिन एक झटके में झूठा हुआ था तुम्हें क्या पता
मैं उस दिन कितना टूटा हुआ था तुम्हें क्या पता

बसाई तुमने थी एक नई बस्ती मिटाई थी अपने दिल में मेरी हस्ती
तुम अपनी रूह से मुझको छुड़ा रहीं थीं और अपने मेहंदी के रंग पे इतरा रहीं थीं
मेरी ज़िंदगी का हर एक रंग उस दिन अपनी दीवार से छूटा हुआ था तुम्हें क्या पता
मैं उस दिन कितना टूटा हुआ था तुम्हें क्या पता

मेरे हिस्से में बस आँसू बच गए थे तुम्हारे धरती गगन सब सज गए थे
मुझे है याद अब तक जो कुछ हुआ था तुम्हारा भगवान तुम पर खुश हुआ था
मगर मेरा तो रब उसी दिन से मुझसे रूठा हुआ था तुम्हें क्या पता
मैं उस दिन कितना टूटा हुआ था तुम्हें क्या पता

धीरे धीरे मैंने अब ख़ुद को है बनाया एक मुकम्मल जहान है खुद का बसाया
वो पुराने दिन अब कुबूल नहीं सकता मगर वो दिन भी मैं भूल नहीं सकता
मेरे सपनों का शहर किसी ने हर तरफ लूटा हुआ था तुम्हें क्या पता
मैं उस दिन कितना टूटा हुआ था तुम्हें क्या पता

©Ks Vishal

#chaandsifarish 350

12 Love

रात की पलकें देख रहीं हैं जुगनू आँखें खोल रहें हैं लेकिन है उजियारे जैसा भोर के पंछी बोल रहे हैं सोई है जब सारी दुनिया फिर आँखों में जागा कौन हम तुम में से कृष्ण कौन है हम तुम में से राधा कौन पनघट पर है खाली गगरी कौन इसे भर पायेगा लगता है सावन भी अबकी तृष्णा से मर जायेगा अम्बर धरती दोनों व्याकुल पर दोनों में ज्यादा कौन हम तुम में से कृष्ण कौन है हम तुम में से राधा कौन दुनिया कहती एक है माला लेकिन कैसे माना जाए मोती जाए धागे में या मोती में से धागा जाए तय करना है कौन है मोती तय करना है धागा कौन हम तुम में से कृष्ण कौन है हम तुम में से राधा कौन ©Ks Vishal

#ज़िन्दगी #mountain  रात की पलकें देख रहीं हैं जुगनू आँखें खोल रहें हैं
लेकिन है उजियारे जैसा भोर के पंछी बोल रहे हैं
सोई है जब सारी दुनिया फिर आँखों में जागा कौन 
हम तुम में से कृष्ण कौन है
हम तुम में से राधा कौन 

पनघट पर है खाली गगरी कौन इसे भर पायेगा
लगता है सावन भी अबकी तृष्णा से मर जायेगा
अम्बर धरती दोनों व्याकुल पर दोनों में ज्यादा कौन
हम तुम में से कृष्ण कौन है
हम तुम में से राधा कौन

दुनिया कहती एक है माला लेकिन कैसे माना जाए
मोती जाए धागे में या मोती में से धागा जाए
तय करना है कौन है मोती तय करना है धागा कौन
हम तुम में से कृष्ण कौन है
हम तुम में से राधा कौन

©Ks Vishal

#mountain radha

8 Love

सारे सपने वापस मँगवा लूँ तुमसे अपने सोच रहा हूँ तुमको इक दिन चिठ्ठी लिखकर पहला सपना नाम तुम्हारा जुड़ा हो मुझसे कहीं किसी कागज़ पर मैं तेरा कहलाऊँ अब ये केवल नाम मात्र का स्वप्न है मेरा झूठ से आखिर कब तक ये ह्रदय बहलाऊँ बंद लिफ़ाफ़े में मैं तुमको भेजूँगा कागज़ पर उस ह्रदय की मिट्टी लिखकर सारे सपने वापस मँगवा लूँ तुमसे अपने सोच रहा हूँ तुमको इक दिन चिठ्ठी लिखकर दूजा सपना एक कमरे की छत के नीचेतू मेरा जीवन बनकर सुख दुःख बाँटे लेकिन अब क्या लाभ तुम्हारा इस सपने से तुमने तो महलों में हैं अब वर्षों काटे कष्ट तुम्हें अपने वैभव में होगा भी क्या भेजूँगा तुमको मैं इतनी विनती लिखकर सारे सपने वापस मँगवा लूँ तुमसे अपने सोच रहा हूँ तुमको इक दिन चिठ्ठी लिखकर और एक सपना कि तुम मुझको अपना बोलो तुमने नहीं कहा सबके आगे इस जीवन में और अब इसके बारे में क्या बात कहूँ आशा मुझको नहीं अभागे इस जीवन में जल जाने दी मैंने ऐसी आशा जिसमें भाग्य की वो ही अग्नि वाली भट्टी लिखकर सारे सपने वापस मँगवा लूँ तुमसे अपने सोच रहा हूँ तुमको इक दिन चिठ्ठी लिखकर सारे सपने जब तुम मुझको वापस भेजो अपने ह्रदय की मिट्टी तुम भी लिख देना मेरा ह्रदय रखने हेतु कुछ भी लिखना तुम एक छोटी सी चिट्ठी तुम भी लिख देना अंत में इतना लिखना प्रेम मिले सबको मिले भले ही बदले में सृष्टि लिखकर सारे सपने वापस मँगवा लूँ तुमसे अपने सोच रहा हूँ तुमको इक दिन चिठ्ठी लिखकर ©Ks Vishal

#ज़िन्दगी #boat  सारे सपने वापस मँगवा लूँ तुमसे अपने  
सोच रहा हूँ तुमको इक दिन चिठ्ठी लिखकर
पहला सपना नाम तुम्हारा जुड़ा हो मुझसे कहीं किसी कागज़ पर मैं तेरा कहलाऊँ   
अब ये केवल नाम मात्र का स्वप्न है मेरा झूठ से आखिर कब तक ये ह्रदय बहलाऊँ
बंद लिफ़ाफ़े में मैं तुमको भेजूँगा कागज़ पर उस ह्रदय की मिट्टी लिखकर
 
सारे सपने वापस मँगवा लूँ तुमसे अपने  
सोच रहा हूँ तुमको इक दिन चिठ्ठी लिखकर
दूजा सपना एक कमरे की छत के नीचेतू मेरा जीवन बनकर सुख दुःख बाँटे  
लेकिन अब क्या लाभ तुम्हारा इस सपने से तुमने तो महलों में हैं अब वर्षों काटे  
कष्ट तुम्हें अपने वैभव में होगा भी क्या  भेजूँगा तुमको मैं इतनी विनती लिखकर
सारे सपने वापस मँगवा लूँ तुमसे अपने  
सोच रहा हूँ तुमको इक दिन चिठ्ठी लिखकर

और एक सपना कि तुम मुझको अपना बोलो तुमने नहीं कहा सबके आगे इस जीवन में
और अब इसके बारे में क्या बात कहूँ आशा मुझको नहीं अभागे इस जीवन में
जल जाने दी मैंने ऐसी आशा जिसमें भाग्य की वो ही अग्नि वाली भट्टी लिखकर  

सारे सपने वापस मँगवा लूँ तुमसे अपने  
सोच रहा हूँ तुमको इक दिन चिठ्ठी लिखकर     

सारे सपने जब तुम मुझको वापस भेजो अपने ह्रदय की मिट्टी तुम भी लिख देना 
मेरा ह्रदय रखने हेतु कुछ भी लिखना तुम एक छोटी सी चिट्ठी तुम भी लिख देना 
अंत में इतना लिखना प्रेम मिले सबको मिले भले ही बदले में सृष्टि लिखकर  

सारे सपने वापस मँगवा लूँ तुमसे अपने  
सोच रहा हूँ तुमको इक दिन चिठ्ठी लिखकर

©Ks Vishal

#boat #354

14 Love

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