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ख्वाब दिखाकर,
क्यूं ख्वाबों में भी आना छोड़ दिया तुमने?
हम तो थे तुम्हारी हर शाम का हिस्सा,
क्यूं वो शाम सजाना छोड़ दिया तुमने?
कभी तो थे तुम हमें पलकों में बसाए,
क्यूं पलकों में बसाना छोड़ दिया तुमने?
जिन ख्यालों से थी रौनक तुम्हारे दिल की,
क्यूं वो ख्याल लाना छोड़ दिया तुमने?
कभी इत्र सा बसा रखा था,
तुमने मुझे अपनी सांसों में,
क्यूं उन सांसों को लेना छोड़ दिया तुमने?
ख्वाब दिखाकर,
क्यूं ख्वाबों में भी आना छोड़ दिया तुमने?
ख्वाब दिखाकर,
क्यूं ख्वाबों में भी आना छोड़ दिया तुमने
©Prashant Thakur
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