हमें क्या पता था हम यूँ ही बिछड़ जाएंगे
बात अपनी एक दूसरे से कह भी न पाएंगे।
तेरी यादों का महल बना अश्कों से सजायेंगे।
जब हम तुमसे बहुत दूर चले जायेंगे।
मुक्तक
बाँधा है साहित्य को, समालोचना संग
सफल समीक्षा भर सके, लेखन में नव रंग।
सतत साधना कीजिये,रगड़ चमक बढ़ जाय
सीखों मिलकर साथ में, रचना के गुण ढंग।
गीता गुप्ता 'मन'
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