White पकड़ा था हाथ मेरा उसनें, मेरे बुरे वक़्त में
मरहम लगाकर ज़ख्मों पर,बना था सहारा मेरा
हारे थे जंग जिंदगी की,छुट रहीं थीं साँस हमारी
पर उसने थमा हाथ मेरा...
आई एक आशा की किरण, बहर गाया ख़ुशियाँ से आंगण मेरा
बढ़ने लगे जान पहचान, महसूस होने लगी एकदूसरे के सुख दुख
लिख रहें थे पाठ नया ज़िंदगी का, एक साथ कई घंटे बैठकर
गुमशुदा थी हँसी, वो भी लौट आई थीं
न जाने कैसी नजर लागी हमारे रिश्ते को,
छूटने लागा उसका हाथ, बढ़ने लगे फासले
ना चाह थीं हमारी उनका हाथ छोड़ने की पर बहलाकर
मुस्कुराहट में छोड़ दिया हाथ हमारा आहिस्ता आहिस्ता
ना मुड़कर जाएंगे उनके गालियों में,
कभीं जिन्होंने सहारा देकर हाथ छोड़ा था
ऐसा था कुछ रिश्ता हमारे दोस्ती का पर क्या करें गहरे
घाव करके दम तोड़ दिया दोस्ती ने हमारे
अश्कों के कश्ती में अकेला छोड़ चली गईं दोस्ती हमारी
अब ख़त्म हुई दास्तान हमारी...!!!
नदी AC....
©Chaitu
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