माँगना हक़ है मेरा तुमसे और मैंने अनुरोध लिखा है।
तुम्हारी मनमानियों पर थोड़ा सा विरोध लिखा है।।
मेरे क़त्ल की साजिशें करो ये सियासत के रहनुमाओं।
विद्रोही ने फिर सच को सच और विरोध लिखा है।।
#vद्रोही#politices
तुमने जो किया शौखियन किया मजबूर न थे हालातों से।
तुम छोड़ कर खिलौना जो खेलने लगे हो ज़ज्बातों से।।
क्यों ये सोच कर छोड़ दें कि तेरा हिसाब करेगा वो ख़ुदा।
जी तो चाहता है जाना तुझको ज़हर पिला दें अपने हाथों से।।
#nojoto
#angar#vद्रोही
बदनामी की कैसी संध्या भाग्य हमारा लाया है।
प्रेम,समर्पण,आज़ादी का हमने कैसा ये फल पाया है।१।
जिस माँ ने पाला उसको अपने तन का लहू पिलाकर।
आज उसी माँ को बेटी ने अपना दुश्मन बतलाया है।२।
जिस भाई ने तेरी ख़ातिर जगभर से रार ठाना था ।
आज उसी भाई को देखो,
कैसे बहन ने ही उसकी झुठलाया है।३।
देखो दौड़ना सीख गई है चलते चलते जाने कब ।
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