santosh sharma

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White नजरें ना मिली अबतलक मुकद्दर से तो क्या, भगवान के चौखट पर रहने इंतजाम हो गया। वक्त तन्हाईयों में बीतकर कल शाम हो गया, बचते रहा ता उम्र सरीफी में मेरा नाम हो गया। अब यह जीद्द है कि किसी का मरहम बनूंगा, सबके नजर में हिमाएते- ए- सरेआम हो गया। चिराग जल गये अंधेरो में रास्ता दिखाई देता है, आज उनका मिलना जुलना खुलेआम हो गया। -----------संतोष शर्मा(कुशीनगर) दिनांक-27/10/2024 ©santosh sharma

#san  White नजरें ना मिली अबतलक मुकद्दर से तो क्या,
भगवान के चौखट पर रहने इंतजाम हो गया।

वक्त  तन्हाईयों में बीतकर  कल शाम हो गया,
बचते रहा ता उम्र सरीफी में मेरा नाम हो गया।

अब यह जीद्द है कि किसी का  मरहम बनूंगा,
सबके नजर में हिमाएते- ए- सरेआम हो गया।

चिराग जल गये अंधेरो में रास्ता दिखाई देता है,
आज उनका मिलना जुलना खुलेआम हो गया।

-----------संतोष शर्मा(कुशीनगर)
दिनांक-27/10/2024

©santosh sharma

#san poetry

12 Love

White तसव्वुफ़ कहाँ है जो तुम इस शहर से पूछते हो, छोड़ दिया है जब आलम,खुदा से क्यों रूठते हो। नामुआफ़िक़ भी, नदारद भी है अपने -अपनो से, तो 'आलम-अल-हुदा' के नजर में किसे ढूढ़ते हो। --------संतोष शर्मा आलम-अल-हुदा का अर्थ -मार्गदर्शक ©santosh sharma

#love_shayari  White तसव्वुफ़ कहाँ  है जो तुम इस शहर से पूछते हो,
छोड़ दिया है जब आलम,खुदा से क्यों रूठते हो।
नामुआफ़िक़ भी, नदारद भी है अपने -अपनो से,
तो 'आलम-अल-हुदा' के नजर में किसे ढूढ़ते हो।
--------संतोष शर्मा 






आलम-अल-हुदा का अर्थ -मार्गदर्शक

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#love_shayari

13 Love

#लक्ष्य  मन ही मन कचोट रहा था,
धरती, गगन को देख रहा था।
धीरें धीरे अग्नि सेक रहा था,
भीड़ लगी थी गलियारों में,
लक्ष्य कही से भेद रहा था।
---संतोष शर्मा

©santosh sharma

#लक्ष्य की ओर

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#कविता #dilkibaat  ओठो का मुस्कुराना याद आता है,
तेरी गोदी में सो जाना याद आता है।
खेलती रहती थी उंगुलीया बालों में,
गुजरा हुआ वो जमाना याद आता है।

©santosh sharma

#dilkibaat

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#सफ़र_ए_ज़िंदगी #कविता  चलता रहा रूक रूक कर जज़्बात विचारों तक पहुॅंचा ,
ख्वाहिशें पाल रखा था मै,वो सफर बहारों तक पहुॅंचा।
 रातभर  उमड़ता रहा तुफान बेचैन कानों में रह -रहकर, 
सपना आंखों सें उतरकर,जमीं के सितारों तक पहुॅंचा।
संतोष शर्मा
16/03/2023

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#शायरी  दिल की खिलती गुलाब ,

 तूझे देखता रहा जनाब।

बहुत मदमस्त है भौरा,

बन बैठा तू एक नबाब।

©santosh sharma

rose

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