Nandini..

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मैं अगर तुमसे कह ना पाऊं, अपने मन की बात तुम समझ लेना मेरे मौन से, मेरी आँखों से हर उस बात को जैसे समझ लेता है.. कोई माह (अक्टूबर ) उससे मिलने आये फूलों (पारिजात ) का त्याग और समर्पण.. और मैं तुम्हे खड़ी मिलूंगी प्राजक़्ता सी प्रत्येक वर्ष के अंत तक ये मेरा वादा है तुमसे... नंदिनी... ©Nandini..

#कविता  मैं अगर तुमसे कह ना पाऊं,
अपने मन की बात 
तुम समझ लेना मेरे मौन से,
मेरी आँखों से  हर उस बात को 
जैसे समझ लेता है..
कोई माह (अक्टूबर )
उससे मिलने आये फूलों (पारिजात )
का त्याग और समर्पण..
और मैं तुम्हे खड़ी मिलूंगी प्राजक़्ता सी 
 प्रत्येक वर्ष के अंत तक 
ये मेरा वादा है तुमसे...
नंदिनी...

©Nandini..

मैं अगर तुमसे कह ना पाऊं, अपने मन की बात तुम समझ लेना मेरे मौन से, मेरी आँखों से हर उस बात को जैसे समझ लेता है.. कोई माह (अक्टूबर ) उससे मिलने आये फूलों (पारिजात ) का त्याग और समर्पण.. और मैं तुम्हे खड़ी मिलूंगी प्राजक़्ता सी प्रत्येक वर्ष के अंत तक ये मेरा वादा है तुमसे... नंदिनी... ©Nandini..

10 Love

अपनी मुस्कुराहट उसे ही देना जो तुम्हारे आंसुओं को हर बदलते मौसम (वक़्त ) में गले से लगा सके,वरना...क्या है लोग और मौसम तो आते जाते रहते हैं... नंदिनी... ©Nandini..

#कविता  अपनी मुस्कुराहट उसे ही देना 
जो तुम्हारे आंसुओं को 
हर बदलते मौसम (वक़्त ) में 
गले से लगा सके,वरना...क्या है 
लोग और मौसम तो आते जाते रहते हैं...
नंदिनी...

©Nandini..

अपनी मुस्कुराहट उसे ही देना जो तुम्हारे आंसुओं को हर बदलते मौसम (वक़्त ) में गले से लगा सके,वरना...क्या है लोग और मौसम तो आते जाते रहते हैं... नंदिनी... ©Nandini..

10 Love

किरणों से सजे दरख्तों पर, भी सुकून नही मिलता.. बैठा रहता हूँ उसके इंतजार को संभाले, मगर उसका पता नही मिलता... चलता रहता है वो हर पहर, मेरे मन के किनारे.. वैसे तो वो मुझसे कभी नही मिलता... नंदिनी... ©Nandini..

#शायरी  किरणों से सजे दरख्तों पर,
भी सुकून नही मिलता..
बैठा रहता हूँ उसके इंतजार को संभाले,
मगर उसका पता नही मिलता...
चलता रहता है वो हर पहर,
मेरे मन के किनारे..
वैसे तो वो मुझसे कभी नही मिलता...
नंदिनी...

©Nandini..

किरणों से सजे दरख्तों पर, भी सुकून नही मिलता.. बैठा रहता हूँ उसके इंतजार को संभाले, मगर उसका पता नही मिलता... चलता रहता है वो हर पहर, मेरे मन के किनारे.. वैसे तो वो मुझसे कभी नही मिलता... नंदिनी... ©Nandini..

13 Love

White दुनियां लूट रही है फिजूल के रिवाजों पर, मिट्टी भी बिक रही है सोने के भावों पर, और मेरे,तुम्हारे भावों का गुलदस्ता बड़ा सस्ता हो गया.. खिलना पड़ रहा है कांटों के इशारों पर... नंदिनी... ©Nandini..

#कविता  White दुनियां लूट रही है
फिजूल के रिवाजों पर,
मिट्टी भी बिक रही है 
सोने के भावों पर,
और मेरे,तुम्हारे भावों का 
गुलदस्ता बड़ा सस्ता हो गया..
खिलना पड़ रहा है कांटों के इशारों पर...
नंदिनी...

©Nandini..

White दुनियां लूट रही है फिजूल के रिवाजों पर, मिट्टी भी बिक रही है सोने के भावों पर, और मेरे,तुम्हारे भावों का गुलदस्ता बड़ा सस्ता हो गया.. खिलना पड़ रहा है कांटों के इशारों पर... नंदिनी... ©Nandini..

14 Love

#कविता  तुम्हारी दोनों भौहों के मध्य ,,
जो रेखाएं अंकित होती हैं,,वहीं
मेरे जीवन की सारी शैलियां खिलखिलाती हैं,,
जब तुम मुझे देख कर मुस्कुराते हो,,,
नंदिनी.....

©Nandini..

तुम्हारी दोनों भौहों के मध्य ,, जो रेखाएं अंकित होती हैं,,वहीं मेरे जीवन की सारी शैलियां खिलखिलाती हैं,, जब तुम मुझे देख कर मुस्कुराते हो,,, नंदिनी..... ©Nandini..

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#शायरी  सजग मगर अचेतन दशा में बैठा मौन मगर,,,
उतावला सा मन....
ढूंढता रहता है उसे जो मेरे सपनों के सिरहाने,,,,
हर रात जलता रहता है.....  जैसे कोई  दीपक,,
कार्तिक मास का अंतिम पहर भी बीत जाने को है....
मगर जिसकी प्रतीक्षा में अमावस सजाई थी,,,
अनेकों दीपों के साथ,,,
प्रतीक्षा में ही -
अर्ध मास का चक्र पूर्ण हुआ,,
पूर्ण हुआ संपूर्ण जगत का चंद्रमा,,,
मगर खोया हुआ सा है अब तक,,
मेरी आंखों का तारा,,, 
नंदिनी,,,

©Nandini..

सजग मगर अचेतन दशा में बैठा मौन मगर,,, उतावला सा मन.... ढूंढता रहता है उसे जो मेरे सपनों के सिरहाने,,,, हर रात जलता रहता है..... जैसे कोई दीपक,, कार्तिक मास का अंतिम पहर भी बीत जाने को है.... मगर जिसकी प्रतीक्षा में अमावस सजाई थी,,, अनेकों दीपों के साथ,,, प्रतीक्षा में ही - अर्ध मास का चक्र पूर्ण हुआ,, पूर्ण हुआ संपूर्ण जगत का चंद्रमा,,, मगर खोया हुआ सा है अब तक,, मेरी आंखों का तारा,,, नंदिनी,,, ©Nandini..

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