अज्ञात

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White "अपनी पहचान" बंद करो अपने आप को किसी से तुलना करना, हर किसी की कहानी अलग है, ना तुम कम हो, ना कोई ज़्यादा। बंद करो खुद हमेशा ये बताना कि क्या किया हमने, जो सच में चमकता है, उसे सब देख लेते हैं बिना कहे। पूछ क्या नहीं किया बनने में किसी के तरह, पर सोचा कभी? खुद कभी किसी के तरह ना बन पाए। आसान है भीड़ में खो जाना, मुश्किल है असल वजूद में रहना। पर वही तो असली जीत है, वही तो रोशनी है, जो खुद की पहचान को मिटने ना दे, जो सिर्फ़ अपनी कहानी लिखने का हौसला रखे। ©अज्ञात

#sad_qoute  White "अपनी पहचान"
बंद करो अपने आप को किसी से तुलना करना,
हर किसी की कहानी अलग है, ना तुम कम हो, ना कोई ज़्यादा।
बंद करो खुद हमेशा ये बताना कि क्या किया हमने,
जो सच में चमकता है, उसे सब देख लेते हैं बिना कहे।
पूछ क्या नहीं किया बनने में किसी के तरह,
पर सोचा कभी? खुद कभी किसी के तरह ना बन पाए।
आसान है भीड़ में खो जाना,
मुश्किल है असल वजूद में रहना।
पर वही तो असली जीत है, वही तो रोशनी है,
जो खुद की पहचान को मिटने ना दे, जो सिर्फ़ अपनी कहानी लिखने का हौसला रखे।

©अज्ञात

#sad_qoute alone shayari girl

15 Love

White गुलाब की खुशबू उन हसीन नज़ाकतों की तरह, और फ़रेब काँटों की तरह चुभता इधर। ये दुनिया, ये महफ़िल, ये रंगीन मंजर, फूलों से रोशन, मगर दर्द भी अंदर। कभी रंग बिखेरे, कभी चुभन दे जाए, गुलाब सा इश्क़ भी जख़्म छोड़ जाए। ©SALONI TIWARI

#Sad_Status  White गुलाब की खुशबू उन हसीन नज़ाकतों की तरह,
और फ़रेब काँटों की तरह चुभता इधर।

ये दुनिया, ये महफ़िल, ये रंगीन मंजर,
फूलों से रोशन, मगर दर्द भी अंदर।

कभी रंग बिखेरे, कभी चुभन दे जाए,
गुलाब सा इश्क़ भी जख़्म छोड़ जाए।

©SALONI TIWARI

#Sad_Status shayari on life

15 Love

White "क्या भूल गए कि इंसान हो, क्या भूल गए अपनी पहचान को, क्या भूल गए अपनों को, या बस खो गए इस जहान को?" "आईने में चेहरा देखा, पर खुद को पहचान न पाए, अपनी ही धरती पर थे कभी, पर अब जड़ों के निशान न पाए।" ©SALONI TIWARI

#Sad_Status  White 

"क्या भूल गए कि इंसान हो, क्या भूल गए अपनी पहचान को,
क्या भूल गए अपनों को, या बस खो गए इस जहान को?"

"आईने में चेहरा देखा, पर खुद को पहचान न पाए,
अपनी ही धरती पर थे कभी, पर अब जड़ों के निशान न पाए।"

©SALONI TIWARI

#Sad_Status

12 Love

White "ज़िन्दगी की दौड़" ज़िन्दगी की दौड़ में क्यों हो रहे खुद से दूर, भाग रहे बच्चे, खुशियों की ले चाहत भरपूर। हर कदम संग ले चल रहे ग़म, सोचते रहते—कब आएगी खुशी, कब होगा कम दर्द का सैलाब? कभी हंसी थी जो बिन वजह, आज वो हंसी भी लगती बेवजह। ख्वाब आँखों में थे रंगीन कभी, आज धुंधले से लगते हैं सभी। भागते-भागते ये दिल थक गया, पर मंज़िल अब तक न दिखा, खुशी को पाने की चाह में, ग़म को भी अपना लिया। पर शायद खुशी कहीं भीतर थी, बचपन की मासूम हँसी में थी, रुक कर देखेंगे तो समझ पाएंगे, कि ज़िन्दगी की दौड़ ही असली खुशी को छुपाए बैठी थी। ©SALONI TIWARI

#Thinking #Quotes  White "ज़िन्दगी की दौड़"

ज़िन्दगी की दौड़ में क्यों हो रहे खुद से दूर,
भाग रहे बच्चे, खुशियों की ले चाहत भरपूर।
हर कदम संग ले चल रहे ग़म,
सोचते रहते—कब आएगी खुशी, कब होगा कम दर्द का सैलाब?

कभी हंसी थी जो बिन वजह,
आज वो हंसी भी लगती बेवजह।
ख्वाब आँखों में थे रंगीन कभी,
आज धुंधले से लगते हैं सभी।

भागते-भागते ये दिल थक गया,
पर मंज़िल अब तक न दिखा,
खुशी को पाने की चाह में,
ग़म को भी अपना लिया।

पर शायद खुशी कहीं भीतर थी,
बचपन की मासूम हँसी में थी,
रुक कर देखेंगे तो समझ पाएंगे,
कि ज़िन्दगी की दौड़ ही असली खुशी को छुपाए बैठी थी।

©SALONI TIWARI

#Thinking

14 Love

White "बचपन की यादें" याद आ रही है वो बचपन, जहाँ न कोई अपना, न कोई पराया, सब एक जैसे थे, न कोई झूठ, न कोई छलावा। वो दिन जब दुनिया लगती थी प्यारी, ना थे बड़े, ना थी कोई जिम्मेदारी, हर खुशी थी छोटी, पर सच्ची, हर हंसी थी मासूम, पर सजीव भारी। सच से अंजान थे, झूठ से बेखबर, ख्वाबों की दुनिया में थे बेफिकर, अब जब बड़े हुए, जाना हकीकत, हर चेहरा यहाँ, बस है एक नक़ाब भर। काश लौट पाते उन गलियों में, जहाँ थी मिट्टी की सौंधी महक, जहाँ बारिश में कागज की कश्ती थी, जहाँ दिलों में थी सच्ची चमक। - खो गया वो मासूम बचपन, हकीकत के साए में कहीं दूर बहुत दूर... ©SALONI TIWARI

#Thinking  White "बचपन की यादें"

याद आ रही है वो बचपन,
जहाँ न कोई अपना, न कोई पराया,
सब एक जैसे थे,
न कोई झूठ, न कोई छलावा।

वो दिन जब दुनिया लगती थी प्यारी,
ना थे बड़े, ना थी कोई जिम्मेदारी,
हर खुशी थी छोटी, पर सच्ची,
हर हंसी थी मासूम, पर सजीव भारी।

सच से अंजान थे, झूठ से बेखबर,
ख्वाबों की दुनिया में थे बेफिकर,
अब जब बड़े हुए, जाना हकीकत,
हर चेहरा यहाँ, बस है एक नक़ाब भर।

काश लौट पाते उन गलियों में,
जहाँ थी मिट्टी की सौंधी महक,
जहाँ बारिश में कागज की कश्ती थी,
जहाँ दिलों में थी सच्ची चमक।

- खो गया वो मासूम बचपन,
हकीकत के साए में कहीं दूर बहुत दूर...

©SALONI TIWARI

#Thinking hindi poetry on life

9 Love

White औरत कोई खिलौना नहीं, जो बस खेलने के लिए बनी हो, पर मर्दों की सोच ने उसे यूं ही समझ रखा है। जब वही खिलौना किसी और के पास चला जाता है, तो न सिर्फ खिलौना टूटता है, बल्कि एक मासूम दिल भी बिखर जाता है। आंसुओं में डूबी खामोशियां चीखती हैं, पर अफसोस, इस दर्द को कोई समझ नहीं पाता है। ©SALONI TIWARI

#sad_quotes  White औरत कोई खिलौना नहीं, जो बस खेलने के लिए बनी हो,
पर मर्दों की सोच ने उसे यूं ही समझ रखा है।
जब वही खिलौना किसी और के पास चला जाता है,
तो न सिर्फ खिलौना टूटता है,
बल्कि एक मासूम दिल भी बिखर जाता है।
आंसुओं में डूबी खामोशियां चीखती हैं,
पर अफसोस, इस दर्द को कोई समझ नहीं पाता है।

©SALONI TIWARI

#sad_quotes love poetry in hindi

14 Love

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