a-person-standing-on-a-beach-at-sunset जंग तुमसे, इश्क तुमसे...
तुमसे ही तो सब है।
तुम बहते पानी की तरह,
निराकार हो।
मैं हूँ आकार तेरा।
तुम रूठो, मैं मनाऊं,
तुम सागर, तुम नदी, तुम किनारा।
मैं बीच धार खड़ा, बस तेरे सहारा,
तुम उस किनारे, मैं इस किनारे।
मतभेद तो रिश्ते में हैं,
मनभेद नहीं।
दूर सही पर दूरी नहीं।
©kavi Abhishek Pathak
#SunSet