तेरे हुस्न के, दीवाने बहुत हैं |
मेरे इश्क के, फसाने बहुत हैं ||
तुम आरज़ू की, राहों में गुम हो |
मुझे रास्ते, सजाने बहुत हैं ||
जबसे हुई है, कलम से मोहब्बत |
मेरी हर गज़ल के, दीवाने बहुत हैं ||
तुझे आसरा है, तेरे दर का लेकिन |
मुझे दर-बदर के, ठिकाने बहुत हैं ||
पलट भी ज़रा, ऐ फरिश्ते ये पन्ने |
मेरे ये दिन, पुराने बहुत हैं
लेखक:-मनीष श्रीवास्तव (अर्श)
मो.9009247220
गैरतगंज जिला रायसेन
©Manish Shrivastava
#VantinesDay