सत्ता के खेल में उलझा सब सियासी दांव, जनता के सपनो | हिंदी कविता

"सत्ता के खेल में उलझा सब सियासी दांव, जनता के सपनों का टूट गया ठांव। नेताओं की चालों में बिखरती उम्मीदें, महाराष्ट्र देखे कब सजेगी नई तस्वीरें। ©Balwant Mehta"

 सत्ता के खेल में उलझा सब सियासी दांव,
जनता के सपनों का टूट गया ठांव।
नेताओं की चालों में बिखरती उम्मीदें,
महाराष्ट्र देखे कब सजेगी नई तस्वीरें।

©Balwant Mehta

सत्ता के खेल में उलझा सब सियासी दांव, जनता के सपनों का टूट गया ठांव। नेताओं की चालों में बिखरती उम्मीदें, महाराष्ट्र देखे कब सजेगी नई तस्वीरें। ©Balwant Mehta

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