मेरे पिता " पिता वो घोँसला है जो देत हमें हौसला

"" मेरे पिता " पिता वो घोँसला है जो देत हमें हौसला है, पिता के बिना बेटा अकेला है....😊 पिता संस्कारन को सरोवर है जी से बनत चरित्र मनोहर है, पिता की सीख हमाय लाने अमूल्य धरोहर है। पिता ही हमाव सच्चो मित्र और महान सलाहकार है, पिता की डांट मे भी छुपो बड़ो अनोखो प्यार है. पिता जब धूप में जलता है तब जाकै परिवार पलता है, बेटा हमाव अनुशासन मे रय ई से तनिक लाड़ कम करता है। पिता संघर्ष को ऐसो सागर है जो भर देत हमाव ज्ञान को गागर है कोउ को वार न चलपे जू पिता को साया हमाय ऊपर है. पिता हमाई वो ढाल है जो करत हमाई देखभाल है, पिता कौ प्यार बेमिसाल है जीखों मिलत सो होत खुशहाल है। कहबे खों तो हमदर्द हजार हैं पर दुनिया के सब झूठे इजहार हैं, कितऊँ धोखेवाज तो कितऊँ गद्दार हैं पिता ही हमाय सबसे दिलदार हैं. पिता की महिमा अपरंपार् है जी की छाया शीतलदार है, आज भाषद हैं "राजदीप सिंह" पिता ही हमाव सच्चो प्यार है। ✍.स्वरचित्- राजदीप राजा 🙏 ©Rajdeep Parmar"

 " मेरे पिता "
पिता वो घोँसला है
जो देत हमें हौसला है, 
पिता के बिना
बेटा अकेला है....😊

पिता  संस्कारन को सरोवर है
जी से बनत चरित्र मनोहर है, 
पिता की सीख
हमाय लाने अमूल्य धरोहर है। 

पिता ही हमाव सच्चो मित्र
और महान सलाहकार है, 
पिता की डांट मे भी 
छुपो बड़ो अनोखो प्यार है. 

पिता जब धूप में जलता है
तब जाकै  परिवार पलता है, 
बेटा हमाव अनुशासन मे रय
ई से तनिक लाड़ कम करता है। 

पिता संघर्ष को ऐसो  सागर है
जो भर देत हमाव ज्ञान को गागर है
कोउ को वार न चलपे जू
पिता को साया हमाय ऊपर है. 

पिता हमाई वो ढाल है
जो करत हमाई देखभाल है, 
 पिता कौ  प्यार बेमिसाल है
जीखों मिलत सो होत खुशहाल है। 

कहबे खों तो हमदर्द हजार हैं
पर दुनिया के सब झूठे इजहार हैं, 
कितऊँ धोखेवाज तो कितऊँ गद्दार हैं
पिता ही हमाय सबसे दिलदार हैं. 

पिता की महिमा अपरंपार् है
जी की छाया शीतलदार है, 
आज भाषद हैं "राजदीप सिंह"
पिता ही हमाव सच्चो प्यार है। 

✍.स्वरचित्- राजदीप राजा 🙏

©Rajdeep Parmar

" मेरे पिता " पिता वो घोँसला है जो देत हमें हौसला है, पिता के बिना बेटा अकेला है....😊 पिता संस्कारन को सरोवर है जी से बनत चरित्र मनोहर है, पिता की सीख हमाय लाने अमूल्य धरोहर है। पिता ही हमाव सच्चो मित्र और महान सलाहकार है, पिता की डांट मे भी छुपो बड़ो अनोखो प्यार है. पिता जब धूप में जलता है तब जाकै परिवार पलता है, बेटा हमाव अनुशासन मे रय ई से तनिक लाड़ कम करता है। पिता संघर्ष को ऐसो सागर है जो भर देत हमाव ज्ञान को गागर है कोउ को वार न चलपे जू पिता को साया हमाय ऊपर है. पिता हमाई वो ढाल है जो करत हमाई देखभाल है, पिता कौ प्यार बेमिसाल है जीखों मिलत सो होत खुशहाल है। कहबे खों तो हमदर्द हजार हैं पर दुनिया के सब झूठे इजहार हैं, कितऊँ धोखेवाज तो कितऊँ गद्दार हैं पिता ही हमाय सबसे दिलदार हैं. पिता की महिमा अपरंपार् है जी की छाया शीतलदार है, आज भाषद हैं "राजदीप सिंह" पिता ही हमाव सच्चो प्यार है। ✍.स्वरचित्- राजदीप राजा 🙏 ©Rajdeep Parmar

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