मेरी हर शायरी उस तक खत्म होती हैं जैसे मेरी शायरी | हिंदी Poetry

"मेरी हर शायरी उस तक खत्म होती हैं जैसे मेरी शायरी में नज़्म होती है यू तो हर बात पर खाता था कसमे इश्क में जाना कसम कसम होती है ©Jishant ansari"

 मेरी हर शायरी उस तक खत्म होती हैं 
जैसे मेरी शायरी में नज़्म होती है 

यू तो हर बात पर खाता था कसमे 
इश्क में जाना कसम कसम होती है

©Jishant ansari

मेरी हर शायरी उस तक खत्म होती हैं जैसे मेरी शायरी में नज़्म होती है यू तो हर बात पर खाता था कसमे इश्क में जाना कसम कसम होती है ©Jishant ansari

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