न जाने क्यूँ दरार बनी रहती है हिन्दू और मुसलमानों में....
जबकि चाँद को दोनों पूजते है अपने अपने त्योहारों में....
फर्क नही किया उस खुदा ने भी हमे बनाने में...
फिर भी न जाने क्यूँ हम दुश्मन बनके बैठे है एक दूजे की जानों के।।।
मेरी कलम से
प्यारा बिरजु😊😊😊