जंजीर टूट गई, वे सब चले गए नहीं तो इतने समारोह थे | हिंदी Poetry

"जंजीर टूट गई, वे सब चले गए नहीं तो इतने समारोह थे कि आये और चले गये यह रात के अंधेरे से कहीं बेहतर था वे अपने हिस्से की मोमबत्ती जलाते थे हिज्र में मरना कितना आसान था फिर भी, इसमें एक जीवन लग गया जश्न तो हुआ नहीं तो हम भी वे नाचते-गाते थे वह जानता था कि उसे विश्वास है या नहीं आप अपनी तरफ से फ़राज़ अदा करते थे ©Dr.Majid Ali Majid Official"

 जंजीर टूट गई, वे सब चले गए नहीं तो इतने समारोह थे कि आये और चले गये यह रात के अंधेरे से कहीं बेहतर था वे अपने हिस्से की मोमबत्ती जलाते थे हिज्र में मरना कितना आसान था फिर भी, इसमें एक जीवन लग गया जश्न तो हुआ नहीं तो हम भी वे नाचते-गाते थे वह जानता था कि उसे विश्वास है या नहीं आप अपनी तरफ से फ़राज़ अदा करते थे

©Dr.Majid Ali Majid Official

जंजीर टूट गई, वे सब चले गए नहीं तो इतने समारोह थे कि आये और चले गये यह रात के अंधेरे से कहीं बेहतर था वे अपने हिस्से की मोमबत्ती जलाते थे हिज्र में मरना कितना आसान था फिर भी, इसमें एक जीवन लग गया जश्न तो हुआ नहीं तो हम भी वे नाचते-गाते थे वह जानता था कि उसे विश्वास है या नहीं आप अपनी तरफ से फ़राज़ अदा करते थे ©Dr.Majid Ali Majid Official

#SunSet @Sethi Ji अरविंद राव @rasmi मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर * @Lotus banana (Arvind kela)

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