मैं धागा-धागा खुल जाऊँगा तय है मगर तुम खुद को चरख | हिंदी शायरी

"मैं धागा-धागा खुल जाऊँगा तय है मगर तुम खुद को चरखा करके जाना झुके नैनों में होती क्या कशिश है सबक़ ये हमने सजदा करके जाना हमारे दर-मयाँ जो फ़ासले हैं उन्हें इस दफ्अ मिन्हा करके जाना ©Ghumnam Gautam"

 मैं धागा-धागा खुल जाऊँगा तय है
 मगर तुम खुद को चरखा करके जाना

झुके नैनों में होती क्या कशिश है
सबक़ ये हमने सजदा करके जाना

हमारे दर-मयाँ जो फ़ासले हैं
उन्हें इस दफ्अ मिन्हा करके जाना

©Ghumnam Gautam

मैं धागा-धागा खुल जाऊँगा तय है मगर तुम खुद को चरखा करके जाना झुके नैनों में होती क्या कशिश है सबक़ ये हमने सजदा करके जाना हमारे दर-मयाँ जो फ़ासले हैं उन्हें इस दफ्अ मिन्हा करके जाना ©Ghumnam Gautam

#धागा
#दरमियाँ
#ghumnamgautam

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