संगत ऐसी रखिए संगत ऐसी रखिए, जो राह दिखाए सच्ची, | हिंदी कविता

"संगत ऐसी रखिए संगत ऐसी रखिए, जो राह दिखाए सच्ची, अंधेरों में भी रोशनी, जो दिल में जलाए कच्ची। जहां गिरें तो थाम ले, न किसी को छोड़े अकेला, जो बुरे वक्त में भी बने, जीवन का सच्चा मेला। संगत ऐसी रखिए, जो सपनों को दे परवाज़, जो बताए गिरना भी है, मंजिल का पहला रिवाज़। बुरे दिनों में भी जो कहे, "तू हार नहीं सकता", जो साथ निभाए हर हाल में, चाहे तू कितना भी थकता। संगत ऐसी रखिए, जो ग़लत को सही दिखाए नहीं, जो सच्चाई की राह पर, कभी भी डगमगाए नहीं। जो प्रेम, विश्वास और सत्य का हो बंधन अटूट, जो बुराई में भी ढूंढ ले, अच्छाई का कोई सुबूत। संगत ऐसी रखिए, जो चरित्र को दे नया आकार, जो बनाए जीवन को सुंदर, और दिल को दे आधार। संगत का असर गहरा है, सोच-समझ कर निभाना, संगत वही सच्ची है, जो खुद को इंसान बनाए ठिकाना। ©Writer Mamta Ambedkar"

 संगत ऐसी रखिए

संगत ऐसी रखिए, जो राह दिखाए सच्ची,
अंधेरों में भी रोशनी, जो दिल में जलाए कच्ची।
जहां गिरें तो थाम ले, न किसी को छोड़े अकेला,
जो बुरे वक्त में भी बने, जीवन का सच्चा मेला।

संगत ऐसी रखिए, जो सपनों को दे परवाज़,
जो बताए गिरना भी है, मंजिल का पहला रिवाज़।
बुरे दिनों में भी जो कहे, "तू हार नहीं सकता",
जो साथ निभाए हर हाल में, चाहे तू कितना भी थकता।

संगत ऐसी रखिए, जो ग़लत को सही दिखाए नहीं,
जो सच्चाई की राह पर, कभी भी डगमगाए नहीं।
जो प्रेम, विश्वास और सत्य का हो बंधन अटूट,
जो बुराई में भी ढूंढ ले, अच्छाई का कोई सुबूत।





संगत ऐसी रखिए, जो चरित्र को दे नया आकार,
जो बनाए जीवन को सुंदर, और दिल को दे आधार।
संगत का असर गहरा है, सोच-समझ कर निभाना,
संगत वही सच्ची है, जो खुद को इंसान बनाए ठिकाना।

©Writer Mamta Ambedkar

संगत ऐसी रखिए संगत ऐसी रखिए, जो राह दिखाए सच्ची, अंधेरों में भी रोशनी, जो दिल में जलाए कच्ची। जहां गिरें तो थाम ले, न किसी को छोड़े अकेला, जो बुरे वक्त में भी बने, जीवन का सच्चा मेला। संगत ऐसी रखिए, जो सपनों को दे परवाज़, जो बताए गिरना भी है, मंजिल का पहला रिवाज़। बुरे दिनों में भी जो कहे, "तू हार नहीं सकता", जो साथ निभाए हर हाल में, चाहे तू कितना भी थकता। संगत ऐसी रखिए, जो ग़लत को सही दिखाए नहीं, जो सच्चाई की राह पर, कभी भी डगमगाए नहीं। जो प्रेम, विश्वास और सत्य का हो बंधन अटूट, जो बुराई में भी ढूंढ ले, अच्छाई का कोई सुबूत। संगत ऐसी रखिए, जो चरित्र को दे नया आकार, जो बनाए जीवन को सुंदर, और दिल को दे आधार। संगत का असर गहरा है, सोच-समझ कर निभाना, संगत वही सच्ची है, जो खुद को इंसान बनाए ठिकाना। ©Writer Mamta Ambedkar

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