दर्द क्या होता है ये तुम क्या जानो मुहब्बतों को पढ | हिंदी शायरी
"दर्द क्या होता है ये तुम क्या जानो
मुहब्बतों को पढ़ते- पढ़ते मैं कातिब हो गया
जब तुमने ठुकराया मुझे, तो सब्र मेरा
हर के मुखातिब हो गया
रख देती जो हाथ कंन्धे पे मेरी
फिर ना कहता तुम्हें
तू क्या थी और मैं क्या हो गया"
दर्द क्या होता है ये तुम क्या जानो
मुहब्बतों को पढ़ते- पढ़ते मैं कातिब हो गया
जब तुमने ठुकराया मुझे, तो सब्र मेरा
हर के मुखातिब हो गया
रख देती जो हाथ कंन्धे पे मेरी
फिर ना कहता तुम्हें
तू क्या थी और मैं क्या हो गया