मैने देखा वर्षा की एक बूँद
सागर से उठती , सागर में मिलती
तप्त धरती पर वाष्प बनती एक बूँद
मैने देखा वर्षा की एक बूँद
आलोक से ही जन्म ले आती
आलोक से ही फिर नश्वरता पाती
मैने देखा वर्षा की एक बूँद
अप्रतिहत स्वर ले जीवन का
औत्सुक्य-सजल पर शील-नम्र
मैने देखा वर्षा की एक बूँद ....."नीर"
©Neeraj Neer