कैसे बिगड़े मिरे हालात न मालूम मुझे वक़्त ने | हिंदी Shayari Video

"कैसे बिगड़े मिरे हालात न मालूम मुझे वक़्त ने क्या किए ज़ुल्मात न मालूम मुझे बिखरे रिश्ते मिरे क्यूँ काँच के पैकर जैसे दरमियाँ क्या हुए ख़दशात न मालूम मुझे मैं हूँ खोई हुई माज़ी की किन्हीं यादों में क्या अभी गुज़रे हैं लम्हात न मालूम मुझे साथ तन्हाई है औ' ग़म की फ़रावानी है कैसे कटते हैं ये दिन-रात न मालूम मुझे उसको चाहा ही नहीं,मैंने परस्तिश'की है वस्ल की होती है क्या रात न मालूम मुझे ©Parastish "

कैसे बिगड़े मिरे हालात न मालूम मुझे वक़्त ने क्या किए ज़ुल्मात न मालूम मुझे बिखरे रिश्ते मिरे क्यूँ काँच के पैकर जैसे दरमियाँ क्या हुए ख़दशात न मालूम मुझे मैं हूँ खोई हुई माज़ी की किन्हीं यादों में क्या अभी गुज़रे हैं लम्हात न मालूम मुझे साथ तन्हाई है औ' ग़म की फ़रावानी है कैसे कटते हैं ये दिन-रात न मालूम मुझे उसको चाहा ही नहीं,मैंने परस्तिश'की है वस्ल की होती है क्या रात न मालूम मुझे ©Parastish

पैकर= आकृति/body, figure
ख़दशात= शंकाएं/ doubts
माज़ी= अतीत/past
फ़रावानी= अधिकता/abundance,plenty
परस्तिश= इबादत,पूजा/worship

#ghazal #sher #Poetry #parastish

People who shared love close

More like this

Trending Topic