शायर किसे कहते हैं?
मैंने शायरी से सीखा।
जो दर्द को अल्फ़ाज़ दे,
जो जज़्बात को आवाज़ दे।
जिसकी ख़ामोशी भी बोलती हो,
जिसकी तहरीरें रोती हों।
जो आँसू को शायरी बना दे,
जो तन्हाई में दीप जला दे।
जो तन्हाई में महफ़िल सजाए,
जो ख़ामोशी में नग़मे सुनाए।
जिसके हर हर्फ़ में सच्चाई हो,
जिसकी हर बात में गहराई हो।
जिसके लफ़्ज़ों में सुकून मिले,
वही शायर कहलाए।
©Mď Âĺfaž" ["Šĥªयरी Ķ. दिवाŇ."]
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