देखो झरनों में कितनी रंग समायी है मिलके रात से भ

"देखो झरनों में कितनी रंग समायी है मिलके रात से भी दिन कितनी परायी हैं ना छोड़ा छाप किसी ने तुम भी लगते हो वहीं झरने ओ निर्मोही तुम भी मोह कैसे छुपाते हो दे दो मुझे भी वो रंग जिससे दाग मुझ पर लगाते हो निशा से मांग कर एक रोज़ हमने चांद लाया था सितारें खूब चमके थे पर अपना तुझको बनाया था वो शामें अब भी है तो तुम आकाश को जाओ चाँद तारे न ला सको तो जुगनू संग ले आओ जाओ मैं खड़ी हूं एक दाग के सहारे अगर तुम हो आसमानों पर तो जाओ चांद ले आओ ©khubsurat"

 देखो झरनों में
 कितनी रंग समायी है 
मिलके रात से भी दिन
 कितनी परायी हैं
ना छोड़ा छाप किसी ने 
तुम भी लगते हो वहीं झरने 
ओ निर्मोही तुम भी मोह 
कैसे छुपाते हो 
दे दो मुझे भी वो रंग
 जिससे दाग मुझ पर लगाते हो 
निशा से मांग कर एक रोज़
 हमने चांद लाया था 
सितारें खूब चमके थे 
पर अपना तुझको बनाया था 
वो शामें अब भी है  तो 
तुम आकाश को जाओ 
चाँद तारे न ला सको तो 
जुगनू संग ले  आओ 
जाओ मैं खड़ी हूं 
एक दाग के सहारे 
अगर तुम हो आसमानों पर 
तो जाओ चांद ले आओ

©khubsurat

देखो झरनों में कितनी रंग समायी है मिलके रात से भी दिन कितनी परायी हैं ना छोड़ा छाप किसी ने तुम भी लगते हो वहीं झरने ओ निर्मोही तुम भी मोह कैसे छुपाते हो दे दो मुझे भी वो रंग जिससे दाग मुझ पर लगाते हो निशा से मांग कर एक रोज़ हमने चांद लाया था सितारें खूब चमके थे पर अपना तुझको बनाया था वो शामें अब भी है तो तुम आकाश को जाओ चाँद तारे न ला सको तो जुगनू संग ले आओ जाओ मैं खड़ी हूं एक दाग के सहारे अगर तुम हो आसमानों पर तो जाओ चांद ले आओ ©khubsurat

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