a-person-standing-on-a-beach-at-sunset तुम्हें देखा ठहर ख़्वाहिश गयी मेरी
तुम्हें महसूस कर कोशिश गयी मेरी
तिरी यादों के वो मौसम सताएं जब
न जाने क्यों निकल बारिश गयी मेरी
हुएं जब बेवफ़ा तुम ग़ैर की चाहत में
तेरी खुशियों में क्यों रंजिश गयी मेरी
चलो आज़ाद दोनों हैं मुहब्बत में
रहे जो इश्क़ में बन्दिश गयी मेरी
किसी से 'राज़' क्या दिल का बताएं हम
जफ़ा क्या क्या कहे कोशिश गयी मेरी
©Krishna Shrivastav(राज़)
#SunSet