White यूॅं तो लिखने का पहले से कोई शौक़ नहीं था मु | हिंदी Shayari

"White यूॅं तो लिखने का पहले से कोई शौक़ नहीं था मुझे लेकिन जब थोड़ा-बहुत लिखने लगी तब ये एहसास हुआ कि दिल का बोझ हलका करने का इस से बेहतर कोई तरीक़ा नहीं बस ख़ुद ही ख़ुद के सवाल लिख दो और फ़िर ख़ुद के सवालों का जवाब भी लिख दो ख़ुद ही। जब दिल चाहे लिखी जा सकती हैं दिल की बातें, फ़िर अपने दिल की बातें बताने के लिए किसी और का हर रोज़ इंतज़ार करने की ज़रूरत नहीं। " बस यूॅं ही" या फ़िर "बस इक ख़याल" के नाम पर उतर जाती है तहरीरों में कभी मोहब्बत,कभी ग़ुस्सा और कभी नाराज़गी भी, लेकिन इन लिखी हुई बातों को बस एक ख़याल समझ कर कोई नाराज़ भी होता नहीं। और लिख देने की एक अच्छी बात ये भी है कि, ये क्यूँ लिखा, किस लिए लिखा और किस के लिए लिखा?? ऐसे सवाल भी अक्सर कोई पूछता नहीं। और इसीलिए मुझे लगता है कि दिल का बोझ हलका करने का इक बेहतर तरीक़ा है उस बोझ को लफ़्ज़ों में तब्दील कर देना ही। #bas yunhi ek khayaal ....... ©Sh@kila Niy@z"

 White यूॅं तो लिखने का पहले से कोई शौक़ नहीं था मुझे 
लेकिन जब थोड़ा-बहुत लिखने लगी तब ये एहसास हुआ कि 
दिल का बोझ हलका करने का इस से बेहतर कोई तरीक़ा नहीं 

बस ख़ुद ही ख़ुद के सवाल लिख दो और फ़िर 
ख़ुद के सवालों का जवाब भी लिख दो ख़ुद ही।

जब दिल चाहे लिखी जा सकती हैं दिल की बातें,
फ़िर अपने दिल की बातें बताने के लिए 
किसी और का हर रोज़ इंतज़ार करने की ज़रूरत नहीं।

" बस यूॅं ही" या फ़िर "बस इक ख़याल" के नाम पर 
उतर जाती है तहरीरों में कभी मोहब्बत,कभी ग़ुस्सा 
और कभी नाराज़गी भी, लेकिन इन लिखी हुई बातों को 
बस एक ख़याल समझ कर कोई नाराज़ भी होता नहीं।

और लिख देने की एक अच्छी बात ये भी है कि,
ये क्यूँ लिखा, किस लिए लिखा और किस के लिए लिखा??
ऐसे सवाल भी अक्सर कोई पूछता नहीं। 

और इसीलिए मुझे लगता है कि दिल का बोझ हलका करने का 
इक बेहतर तरीक़ा है उस बोझ को लफ़्ज़ों में तब्दील कर देना ही।

#bas yunhi ek khayaal .......

©Sh@kila Niy@z

White यूॅं तो लिखने का पहले से कोई शौक़ नहीं था मुझे लेकिन जब थोड़ा-बहुत लिखने लगी तब ये एहसास हुआ कि दिल का बोझ हलका करने का इस से बेहतर कोई तरीक़ा नहीं बस ख़ुद ही ख़ुद के सवाल लिख दो और फ़िर ख़ुद के सवालों का जवाब भी लिख दो ख़ुद ही। जब दिल चाहे लिखी जा सकती हैं दिल की बातें, फ़िर अपने दिल की बातें बताने के लिए किसी और का हर रोज़ इंतज़ार करने की ज़रूरत नहीं। " बस यूॅं ही" या फ़िर "बस इक ख़याल" के नाम पर उतर जाती है तहरीरों में कभी मोहब्बत,कभी ग़ुस्सा और कभी नाराज़गी भी, लेकिन इन लिखी हुई बातों को बस एक ख़याल समझ कर कोई नाराज़ भी होता नहीं। और लिख देने की एक अच्छी बात ये भी है कि, ये क्यूँ लिखा, किस लिए लिखा और किस के लिए लिखा?? ऐसे सवाल भी अक्सर कोई पूछता नहीं। और इसीलिए मुझे लगता है कि दिल का बोझ हलका करने का इक बेहतर तरीक़ा है उस बोझ को लफ़्ज़ों में तब्दील कर देना ही। #bas yunhi ek khayaal ....... ©Sh@kila Niy@z

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