White टूटते तारों से पूछो वो टूटते हैं क्यूँ छूटत | हिंदी कविता

"White टूटते तारों से पूछो वो टूटते हैं क्यूँ छूटते किनारों से पूछो वो छूटते है क्यूँ जिन्हें पसंद ही नहीं थी मेरी मौजूदगी कभी उनकी गलियों से छुड़ा दामन जब मैं चला गया न जाने फ़िर मुझे वो ढूंढ़ते हैं क्यूँ ©Kirbadh"

 White टूटते तारों से पूछो
वो टूटते हैं क्यूँ 
छूटते किनारों से पूछो
वो छूटते है क्यूँ 
जिन्हें पसंद ही नहीं थी
मेरी मौजूदगी कभी
उनकी गलियों से छुड़ा दामन
जब मैं चला गया
न जाने फ़िर मुझे
वो ढूंढ़ते हैं क्यूँ

©Kirbadh

White टूटते तारों से पूछो वो टूटते हैं क्यूँ छूटते किनारों से पूछो वो छूटते है क्यूँ जिन्हें पसंद ही नहीं थी मेरी मौजूदगी कभी उनकी गलियों से छुड़ा दामन जब मैं चला गया न जाने फ़िर मुझे वो ढूंढ़ते हैं क्यूँ ©Kirbadh

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