White सफेद सूट सलवार पहन स्कूल ,कॉलेज जाती लडकिय | हिंदी कविता

"White सफेद सूट सलवार पहन स्कूल ,कॉलेज जाती लडकियां महीने के चार –पांच दिन कितनी ही आशंकाओं से घिरी होती है पीरियड का दर्द सहते हुए भी हर वक्त , सताती है एक चिंता दाग के लग जाने का , और वह दाग , किसी को दिख जाने का। कितना कठिन है उन दिनों निर्धारित सफेद परिधान पहनना घर से कॉलेज की दूरी तय करना और अपनी सखी से बार – बार पूछना ‘देखो कुछ लगा तो नहीं’ । कितना मुश्किल होता है दाग लगे कपड़े में घर तक पहुंचना चुभती आंखों के प्रहार से बचना , अपराधबोध से घिरे रहना पीरियड के दिनों में बस पीरियड पर सोचना । आज भी पीरियड को छुपा कर रखने का हिमायती समाज , जबमहावारी के लाल दाग को अपराध समझता है ओवरफ्लो से यदि हो जाएं कपड़े खराब लड़की को फूहड़ समझता है तब वही समाज क्यों चुप रहता है जब बेटियां पहनती हैं मजबूरी में सफेद सूट सलवार सुनो लड़कियों यह समस्या तुम्हारी है अपने हक में बोलने की बारी तुम्हारी है उन दिनों तुम अपनी सहूलियत के रंगीन कपड़े पहनना जब उठे सवाल तो बेधड़क बोलना । तुम प्रश्न करना उन तमाम विज्ञापनों पर जो करते हैं पैड का प्रचार दिखाते हैं पीरियड में भागती दौड़ती ,मुश्किल काम करती लड़कियां , बताना उन्हें पैड दर्द की दवा नही होता ,बस उन दिनों को थोड़ा आसान करता है © Pallavi pandey"

 White सफेद सूट सलवार  पहन 
स्कूल ,कॉलेज जाती लडकियां 
महीने के चार –पांच दिन 
कितनी ही आशंकाओं से घिरी होती है 
पीरियड का दर्द सहते हुए भी 
हर वक्त , सताती है एक चिंता 
दाग के लग जाने का ,
और वह दाग ,
किसी को दिख जाने का।
कितना कठिन है उन दिनों 
निर्धारित सफेद  परिधान पहनना 
घर से कॉलेज की दूरी तय करना 
और अपनी सखी से  बार – बार  पूछना 
 ‘देखो कुछ लगा तो नहीं’ ।
कितना मुश्किल होता है 
दाग लगे कपड़े में घर तक पहुंचना 
चुभती आंखों के प्रहार से बचना ,
अपराधबोध से घिरे रहना 
पीरियड के दिनों में बस पीरियड पर सोचना ।
आज भी पीरियड को छुपा कर रखने का हिमायती समाज ,
 जबमहावारी के लाल दाग को अपराध समझता है 
ओवरफ्लो से यदि हो जाएं कपड़े खराब 
लड़की को फूहड़ समझता है 
तब वही समाज 
क्यों चुप रहता है जब बेटियां पहनती हैं मजबूरी में सफेद सूट सलवार 
सुनो लड़कियों 
यह समस्या तुम्हारी है 
अपने हक में बोलने की बारी तुम्हारी है 
उन दिनों तुम 
अपनी सहूलियत के 
रंगीन कपड़े पहनना 
जब उठे सवाल तो बेधड़क बोलना ।
तुम प्रश्न करना 
उन तमाम विज्ञापनों पर 
जो करते हैं पैड का प्रचार 
दिखाते हैं पीरियड में भागती दौड़ती ,मुश्किल काम करती लड़कियां ,
बताना उन्हें 
पैड दर्द की दवा नही होता ,बस 
उन दिनों को थोड़ा आसान करता है

© Pallavi pandey

White सफेद सूट सलवार पहन स्कूल ,कॉलेज जाती लडकियां महीने के चार –पांच दिन कितनी ही आशंकाओं से घिरी होती है पीरियड का दर्द सहते हुए भी हर वक्त , सताती है एक चिंता दाग के लग जाने का , और वह दाग , किसी को दिख जाने का। कितना कठिन है उन दिनों निर्धारित सफेद परिधान पहनना घर से कॉलेज की दूरी तय करना और अपनी सखी से बार – बार पूछना ‘देखो कुछ लगा तो नहीं’ । कितना मुश्किल होता है दाग लगे कपड़े में घर तक पहुंचना चुभती आंखों के प्रहार से बचना , अपराधबोध से घिरे रहना पीरियड के दिनों में बस पीरियड पर सोचना । आज भी पीरियड को छुपा कर रखने का हिमायती समाज , जबमहावारी के लाल दाग को अपराध समझता है ओवरफ्लो से यदि हो जाएं कपड़े खराब लड़की को फूहड़ समझता है तब वही समाज क्यों चुप रहता है जब बेटियां पहनती हैं मजबूरी में सफेद सूट सलवार सुनो लड़कियों यह समस्या तुम्हारी है अपने हक में बोलने की बारी तुम्हारी है उन दिनों तुम अपनी सहूलियत के रंगीन कपड़े पहनना जब उठे सवाल तो बेधड़क बोलना । तुम प्रश्न करना उन तमाम विज्ञापनों पर जो करते हैं पैड का प्रचार दिखाते हैं पीरियड में भागती दौड़ती ,मुश्किल काम करती लड़कियां , बताना उन्हें पैड दर्द की दवा नही होता ,बस उन दिनों को थोड़ा आसान करता है © Pallavi pandey

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