मैं जो कह गया, वो जो रह गया,,
.......... खैर आप ना समझोगे..
कुछ तो है जो अक्ल में है, पर बह गया,,
...........खैर आप ना समझोगे..
मैं वाक़िफ़ हुआ हर सह से, बस अपना रह गया,,
........... खैर आप ना समझोगे..
खूब है समझ आपकी, आपने समझा जो, सच तो रह गया,,
............ खैर आप ना समझोगे..
यूँ तो ताल्लुक दिलों का था सबसे, बस दिल का रह गया,,
.............खैर आप ना समझोगे..
सब ख़फ़ा हुए मुझसे, बस मेरा सबसे रह गया,,
.............खैर आप ना समझोगे..
चाहे जरा सी, रूह प्यासी, ओर फ़िर सब अधूरा रह गया,,
............. खैर आप ना समझोगे..
तेरा ख्याल, तेरा गम, तेरा हिज़्र, तेरा ज़िक्र, मुझ में मेरा क्या रह गया,,
.............. खैर आप ना समझोगे..
वो चौँक जाये इसी उम्मीद में बस,रज़ा सफ़ेद सफ़ेद कागज़, काले करता रह गया,,
................ खैर आप ना समझोगे..
इश्क़ तो रूह का सकून है मगर, अब यार यार को बैचेन कर गया,,
............... खैर आप ना समझोगे..
वो जो कभी लफ्ज़ो में आता ही नहीं, रज़ा पागल उसी को इकट्ठा करता रह गया,,
................खैर आप ना समझो
©Sonu Sharma
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