मेरी कलम केे यहाँ दावेदार कौन है । पढ़ने वाले हज़ार, | हिंदी शायरी

"मेरी कलम केे यहाँ दावेदार कौन है । पढ़ने वाले हज़ार,यहाँ समझदार कौन है ।। ऊच नीच ये जात-पात पर लड़वाने वाले कौन हैं । खुद को उचा, दूसरों को नीचा दिखाना वाले कौन है ।। मेरे आँसुओं का सौदा करते हैवान कौन हैं । ये भोली सी सूरत के पीछे शैतान कौन हैं ।। इज़्ज़त लूटने वाले ये बेशरम कौन है । रोज़ मेरे जिस्म को नोचने वाले कौन हैं ।। सुरत में नही सीरत में झाँकने वाले कौन हैं । ये तेज़ाब से सुरत बिगाड़ने वाले कौन हैं ।। अपना यहाँ मुझ को बताने वाले कौन हैं । ये बताओ इस दिल केे हक़दार कौन हैं ।। ©Jayesh gulati"

 मेरी कलम केे यहाँ दावेदार कौन है ।
पढ़ने वाले हज़ार,यहाँ समझदार कौन है ।।

ऊच नीच ये जात-पात पर लड़वाने वाले कौन हैं ।
खुद को उचा, दूसरों को नीचा दिखाना वाले कौन है ।।

मेरे आँसुओं का सौदा करते हैवान कौन हैं ।
ये भोली सी सूरत के पीछे शैतान कौन हैं ।।

इज़्ज़त लूटने वाले ये बेशरम कौन है ।
रोज़ मेरे जिस्म को नोचने वाले कौन हैं ।।

सुरत में नही सीरत में झाँकने वाले कौन हैं ।
ये तेज़ाब से सुरत बिगाड़ने वाले कौन हैं ।।

अपना यहाँ मुझ को बताने वाले कौन हैं ।
ये बताओ इस दिल केे हक़दार कौन हैं ।।

©Jayesh gulati

मेरी कलम केे यहाँ दावेदार कौन है । पढ़ने वाले हज़ार,यहाँ समझदार कौन है ।। ऊच नीच ये जात-पात पर लड़वाने वाले कौन हैं । खुद को उचा, दूसरों को नीचा दिखाना वाले कौन है ।। मेरे आँसुओं का सौदा करते हैवान कौन हैं । ये भोली सी सूरत के पीछे शैतान कौन हैं ।। इज़्ज़त लूटने वाले ये बेशरम कौन है । रोज़ मेरे जिस्म को नोचने वाले कौन हैं ।। सुरत में नही सीरत में झाँकने वाले कौन हैं । ये तेज़ाब से सुरत बिगाड़ने वाले कौन हैं ।। अपना यहाँ मुझ को बताने वाले कौन हैं । ये बताओ इस दिल केे हक़दार कौन हैं ।। ©Jayesh gulati

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