मैं को, मैं की याद से कैसे मिटाऊं ।
तुझको अपनी याद से कैसे मिटाऊं ।।
करता हूँ कोशिश, अब मैं, खुद से भी दूर रहने की ।
मैं इस जिस्म से, तेरी खुशबु कैसे मिटाऊं ।।
अब कौन हैं, जो बचता हैं मेरा सिर्फ ।
मैं इस मोहब्बत, के एहसास को कैसे मिटाऊं ।।
तुम, नहीं जानती ये कैसे चलती हैं ।
यहां सांसे मेरी, तेरे दीदार से चलती हैं ।।
करता हूँ मैं बातें तुम्हारी, खुद से कई दफ़ा ।
मेरे ख्वाबों में, तेरी ये तस्वीर भी चलती हैं ।।
पढ़ता हूँ मैं तस्बीह¹, हर रोज़ तेरे नाम की ।
सुना हैं, यह दुनियां खुदा के नाम से चलती हैं ।।
*गुलाटी जी*
मेरी मोहब्बत की तुमसे, आस गुलाटी जी ।
करती हूँ मैं, तुमसे प्यार गुलाटी जी ।।
दर-दर भटकूँ, फिरू बंजारन सी मैं ।
मेरे लिए करो बस तुम, अरदास गुलाटी जी ।।
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