इस बिजली के खंभे सी हमारी जिंदगी,
उलझे तारों की तरह जकड़ी हुई है परेशानियां...
और दूर-दूर तक फैला यह आसमां, हमारे आंखों में बसे सपनों की तरह है अंतहीन...
रोज उगता हुआ सूरज कहता है चल सपनों को पाने समय के साथ कदम मिला,
और जो ढल आती है शाम तो डूबता हुआ सूरज कहता है... कोई नहीं, कल होगी फिर एक नई सुबह।
-अंशु
फिर होगी नई सुबह...
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