तुम्हारी सादगी
तुम्हारी झील सी गहरी आँखे और उन आँखो मे लगा कांजल,
तुम्हारी रेशमी जुल्फ़ें और उन्हें सवाँरती हुई तुम, खूबसूरत लगती हो।
तुम सादगी में कमाल लगती है।
तुम्हारे कानों के झुमके, और उन्हे पहनती हुई तुम,
तुम्हारे पाँयल की छन छन, और उसकी आवाज में खोया मेरा मन।
लाजबाब लगती हो, तुम सादगी में कमाल लगती हो।।
तुम्हारे माथे की बिंदिया, और खंन खंन चूड़िया।
बेमिसाल लगती हो।
तुम सादगी में कमाल लगती हो।।
तुम पहनती हुई साडी और और उसका पल्लू कमर मे खोसती हुई तुम ,
कतई जहर ढाती हो।
तुम सादगी मे कमाल लगती हो।।
©विनोद जोशी
तुम्हारी सादगी