White समझो ना मुझे भी कोई मैं भी एक किताब हूँ | हिंदी Life

"White समझो ना मुझे भी कोई मैं भी एक किताब हूँ समझ सके मुझे भी कोई, सरल सी ही सही पर मैं भी एक इंसान हूँ क्यों अपने भी एक अब गैर से लगने लगे है अकेली सी यह भीड़ मुझे अब लगने लगी है। क्यों एक हसमुख लड़की शान्त सी हो गई होगी? यह सोच मैं क्यों किसी के आया नहीं होगा? किस्से बोलेगी वो अपना दुख आज तक एक शादी शुदा लड़की को कभी भी समझ नहीं आया... अकेली सी पढ़ गई वो, शांत उसका स्वभाव होता जारा है नहीं थी वो ऐसी वो, ना जाने कौनसा दुख उसको अंदर ही अंदर मारता जारा है... मां बाप से भी कितना वो कहे अब तो पराई हो गई है इस समाज की बातों से अब वो बहुत परेशान हो गई हैं सुनने समझने वाला शख्स भी अब उसको समझ नहीं पारा है क्या करे आख़िर वो लड़की, मन्न का दुख उसका अब बाहर नहीं निकल पारा है...!! चल रही बस वो अब मन्न में लेके अपने 100 बातें वो छुपाए बैठी है अब नहीं बोलेगी किसी से भी अपना दुख चाहे मन्न ही मन्न में अपना दुख चाहे कोई कितना भी सुनना चाहे। ✓Ishitav @poetrysoul_999 ©Ishita Verma"

 White 



समझो ना मुझे भी कोई मैं भी एक किताब हूँ 
समझ सके मुझे भी कोई, सरल सी ही सही पर मैं भी एक इंसान हूँ 
क्यों अपने भी एक अब गैर से लगने लगे है
अकेली सी यह भीड़ मुझे अब लगने लगी है।

क्यों एक हसमुख लड़की शान्त सी हो गई होगी?
यह सोच मैं क्यों किसी के आया नहीं होगा?
किस्से बोलेगी वो अपना दुख आज तक एक शादी शुदा लड़की को
कभी भी समझ नहीं आया...

अकेली सी पढ़ गई वो, शांत उसका स्वभाव होता जारा है
नहीं थी वो ऐसी वो, ना जाने कौनसा दुख उसको अंदर ही अंदर
मारता जारा है...

मां बाप से भी कितना वो कहे अब तो पराई हो गई है
इस समाज की बातों से अब वो बहुत परेशान हो गई हैं

सुनने समझने वाला शख्स भी अब उसको समझ नहीं पारा है
क्या करे आख़िर वो लड़की, मन्न का दुख उसका
 अब बाहर नहीं निकल पारा है...!! 
 
चल रही बस वो अब मन्न में लेके अपने 100 बातें वो छुपाए बैठी है 
अब नहीं बोलेगी किसी से भी अपना दुख 
चाहे मन्न ही मन्न में अपना दुख चाहे कोई कितना भी सुनना चाहे।

   ✓Ishitav
@poetrysoul_999

©Ishita Verma

White समझो ना मुझे भी कोई मैं भी एक किताब हूँ समझ सके मुझे भी कोई, सरल सी ही सही पर मैं भी एक इंसान हूँ क्यों अपने भी एक अब गैर से लगने लगे है अकेली सी यह भीड़ मुझे अब लगने लगी है। क्यों एक हसमुख लड़की शान्त सी हो गई होगी? यह सोच मैं क्यों किसी के आया नहीं होगा? किस्से बोलेगी वो अपना दुख आज तक एक शादी शुदा लड़की को कभी भी समझ नहीं आया... अकेली सी पढ़ गई वो, शांत उसका स्वभाव होता जारा है नहीं थी वो ऐसी वो, ना जाने कौनसा दुख उसको अंदर ही अंदर मारता जारा है... मां बाप से भी कितना वो कहे अब तो पराई हो गई है इस समाज की बातों से अब वो बहुत परेशान हो गई हैं सुनने समझने वाला शख्स भी अब उसको समझ नहीं पारा है क्या करे आख़िर वो लड़की, मन्न का दुख उसका अब बाहर नहीं निकल पारा है...!! चल रही बस वो अब मन्न में लेके अपने 100 बातें वो छुपाए बैठी है अब नहीं बोलेगी किसी से भी अपना दुख चाहे मन्न ही मन्न में अपना दुख चाहे कोई कितना भी सुनना चाहे। ✓Ishitav @poetrysoul_999 ©Ishita Verma

#sad_quotes

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